वक्फ विधेयक पारित होने पर मुस्लिम नेताओं व संगठनों की मिलीजुली प्रतिक्रिया

वक्फ विधेयक पारित होने पर मुस्लिम नेताओं व संगठनों की मिलीजुली प्रतिक्रिया

वक्फ विधेयक पारित होने पर मुस्लिम नेताओं व संगठनों की मिलीजुली प्रतिक्रिया
Modified Date: April 4, 2025 / 10:43 pm IST
Published Date: April 4, 2025 10:43 pm IST

लखनऊ, चार अप्रैल (भाषा) लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेताओं और संगठनों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ संगठनों व नेताओं ने विधेयक की आलोचना की है जबकि अन्य ने इसके जरिए बेहतरी की उम्मीद जताई है।

वक्फ विधेयक पारित होने के बाद बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं भारत सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं। साथ ही देश के सभी नागरिकों को बधाई देता हूं।’

उन्होंने तर्क दिया कि यह विधेयक गरीब मुसलमानों को लाभ पहुंचाएगा क्योंकि इससे वक्फ भूमि की आय का उपयोग उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए किया जाएगा।

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बरेलवी ने यह भी कहा, ‘वक्फ संशोधन विधेयक से आम मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि इससे फायदा ही होगा, नुकसान उन वक्फ भू-माफियाओं को होगा जिन्होंने करोड़ों की जमीनों पर कब्जा कर रखा है।’

दूसरी ओर वाराणसी में, ज्ञानवापी इंतजामिया मस्जिद समिति के सचिव मोहम्मद यासीन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए दावा किया कि यह विधेयक ‘अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है’ और ‘यह ‘पूजा स्थल अधिनियम’ को भी कमजोर करेगा।’

इसी तरह, अलीगढ़ में, ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुशावरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद ने विधेयक को न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया।

गोरखपुर में, यह विधेयक मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है।

मौलाना सैयद जावेद ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाए जाने पर ‘दुख और चिंता’ व्यक्त की। जिला प्रशासन के अनुसार, गोरखपुर में 967 वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से लगभग 60 फीसदी विवादित हैं।

मथुरा में, संकट मोचन सेना जैसे हिंदू संगठनों ने विधेयक का समर्थन करते हुए बैठकें की।

शाही ईदगाह इंतेज़ामिया समिति के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य ‘वक्फ संपत्तियों पर कब्ज़ा करके उन्हें पसंदीदा पूंजीपतियों को देना’ है।

बागपत में, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कैलाश तिवारी ने बताया कि जिले में 622 वक्फ संपत्तियों की पहचान हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में की गयी है। उन्होंने यह भी कहा कि इन संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 162.6364 हेक्टेयर है, जो एनसीआर में जमीन की ऊंची कीमतों को देखते हुए काफी अहम है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) से जुड़े मौलाना शाह आलम ने कहा कि यह विधेयक सही नहीं है और “हम इसके खिलाफ हैं।’

वहीं बलिया में भाजपा विधायक केतकी सिंह ने विधेयक का स्वागत किया और वक्फ अध्यक्ष की संपत्ति की जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ‘इन लोगों ने वक्फ के नाम पर जमीन पर कब्जा कर रखा है।’

भाषा सं आनन्द नोमान

नोमान


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