Samvida Karmchari Latest News. Image Source- IBC24
लखनऊ: Contract Employees News लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे संविदा कर्मचारियों को दिवाली से पहले जोर का झटका लगने वाला है। दरअसल विद्युत विभाग के निजीकरण के चलते संविदा के तौर पर काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की नौकरी पर खतर मंडराने लगा है। इतना ही दावा किया जा रहा है कि नियमित कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ सकती है। ऐसे में विद्युत विभाग के निजीकरण का विरोध कर संघर्ष समिति ने आयोग से प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की है।
Contract Employees News संघर्ष समिति के संयोजक ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि बिजली कर्मचारी और बिजली उपभोक्ता बिजली के सबसे बड़े हितधारक हैं। ऐसे में निजीकरण पर कोई फैसला देने से पहले दोनों पक्षों का सुना जाना जरूरी है। संघर्ष समिति बिजली कर्मचारियों का पक्ष रखने के लिए तैयार है। नियमित और संविदा कर्मचारियों की छंटनी के अलावा निजीकरण से कर्मचारियों व अभियंताओं को और भी नुकसान होंगे।
बड़े पैमाने पर अभियंताओं और अन्य कर्मचारियों को रिवर्शन का सामना करना पड़ेगा। निजीकरण का फैसला कर्मचारियों को अंधेरे में डाल देने वाला है। निजीकरण का प्रस्ताव अनिवार्य तौर पर निरस्त कर देना चाहिए। संघर्ष समिति ने निजीकरण का प्रस्ताव रद्द होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया है।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार और पावर कॉरपोरेशन से छह सवाल पूछे हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर इस मसले पर सरकार निष्पक्षता से फैसला लेना चाहती है, तो उसे एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय समिति का गठन करके सभी पक्षों से बात करनी चाहिए।
उपभोक्ता परिषद का मत स्पष्ट है कि निजीकरण उपभोक्ताओं के हितों के विपरीत है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को नुकसान होगा बल्कि प्रदेश को वित्तीय हानि भी होगी। सरकार को जवाब देना चाहिए कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की बकाया राशि 33,122 करोड़ रुपए निजीकरण के बाद कैसे मिलेगी? पूर्वांचल और दक्षिणांचल पर यह बकाया रकम तकरीबन 16 हजार करोड़ रुपए है।