मुजफ्फरनगर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद के घटनाक्रम पर शनिवार को खाप पंचायत होगी

मुजफ्फरनगर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद के घटनाक्रम पर शनिवार को खाप पंचायत होगी

मुजफ्फरनगर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद के घटनाक्रम पर शनिवार को खाप पंचायत होगी
Modified Date: May 9, 2025 / 12:30 pm IST
Published Date: May 9, 2025 12:30 pm IST

मुजफ्फरनगर (उप्र), नौ मई (भाषा) ऑपरेशन सिंदूर के बाद उभरे राष्ट्रीय हालात के मद्देनजर मुजफ्फरनगर जिले के सोरम गांव में सर्व खाप मुख्यालय में शनिवार को को खाप नेताओं की एक आपातकालीन पंचायत बुलाई गई है।

सर्व खाप के सचिव चौधरी सुभाष बालियान ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से पुष्टि की कि सभी खाप प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।

बालियान ने कहा, ‘‘पंचायत की तैयारियां चल रही हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद के घटनाक्रमों के मद्देनजर यह एक महत्वपूर्ण बैठक है।’’

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यह आपातकालीन बैठक भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) द्वारा केंद्र सरकार को आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए समर्थन देने और सभी विरोध प्रदर्शनों को स्थगित करने की घोषणा के कुछ दिनों बाद हुई है।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस सप्ताह की शुरुआत में पोस्ट किए गए एक वीडियो बयान में कहा कि संगठन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ खड़ा है और उसने सभी आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया जा रहा है। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे। इस हमले की देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है।

भाकियू समेत किसान यूनियनों ने शुरू में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा प्रयासों के साथ एकजुटता दिखाते हुए उन्होंने इसे स्थगित कर दिया।

खाप पंचायत आयोजित करने का फ़ैसला दो मई को हुई एक घटना को लेकर तनाव के बाद लिया गया है, जब पहलगाम आतंकवादी हमले के विरोध में दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित ‘आक्रोश रैली’ के दौरान राकेश टिकैत को कथित तौर पर परेशान किया गया था। कथित तौर पर हंगामे के दौरान टिकैत की पगड़ी उतार दी गई थी, जिसे उन्होंने ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ करार दिया था।

संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान सभा ने भी इस घटना की निंदा की और भाकियू नेतृत्व को समर्थन दिया।

खाप पंचायतें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचलित पारंपरिक खास तौर पर जाट समुदायों के बीच गोत्र-आधारित परिषदें हैं। वे विवादों को सुलझाने, सामाजिक मानदंडों को लागू करने, संसाधन जुटाने और राजनीतिक आंदोलनों को प्रभावित करके ग्रामीण समाज में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं, जिससे वे क्षेत्र के सामाजिक और कृषि परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भाषा सं जफर मनीषा सुरभि

सुरभि


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