उप्र : आठ साल में 62 फीसदी बढ़ी ट्रैक्टरों की संख्या |

उप्र : आठ साल में 62 फीसदी बढ़ी ट्रैक्टरों की संख्या

उप्र : आठ साल में 62 फीसदी बढ़ी ट्रैक्टरों की संख्या

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Modified Date: May 21, 2025 / 05:36 PM IST
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Published Date: May 21, 2025 5:36 pm IST

लखनऊ, 21 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के राज्य की कमान संभालने के बाद करीब आठ वर्षों में ट्रैक्टरों की संख्या में 62 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।

वित्तीय वर्ष 2016-2017 में प्रदेश में कुल 88 हजार ट्रैक्टर थे। जबकि वित्तीय वर्ष 2024-2025 में यह संख्या बढ़कर 1,42,200 हो गई है।

एक बयान के मुताबिक करीब चार दशक पहले किसी किसान की संपन्नता का पैमाना दरवाजे पर बंधे बैलों की संख्या से लगाया जाता था। धीरे-धीरे ट्रैक्टर ने बैलों को खेतीबाड़ी में अप्रासंगिक बना दिया। बदले दौर में अब ट्रैक्टर ही किसानों की शान, संपन्नता और खुशहाली के प्रमाण हैं। ट्रैक्टरों की संख्या के लिहाज से देखें तो उत्तर प्रदेश के किसान खुशहाल हैं।

बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। वह इस बात और खेती बाड़ी में उत्तर प्रदेश की संभावनाओं को लगातार सार्वजनिक मंचों पर कहते आ रहे हैं। उनके मुताबिक नौ तरह की अलग-अलग कृषि जलवायु, सिंधु-गंगा बेल्ट की दुनिया की सबसे उर्वर जमीन, गंगा, यमुना, सरयू जैसी सदानीरा नदियां, सबसे अधिक आबादी के कारण सस्ता श्रम और सबसे बड़ा बाजार होने के कारण उत्तर प्रदेश देश की ‘खाद्य टोकरी’ बन सकता है।

जरुरत इस बात की है कि किसानों के परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को खेती बाड़ी से जोड़ा जाए। इसके लिए सरकार लगातार कृषि विज्ञान केंद्रों और ‘द मिलियन फॉर्मर्स’ स्कूल के तहत संचालित किसान पाठशाला से किसानों को जागरुक करने के साथ उनको नवाचार के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है।

उप्र सरकार, केंद्र की नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ अपने स्तर से भी किसानों के हित में जो भी संभव है वह कर रही है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण अपने पहले कार्यकाल की मंत्रिमंडल की पहली बैठक में लघु सीमांत किसानों की एक लाख रुपये तक की कार्जमाफी।

उसके बाद से तो यह सिलसिला ही चल निकला। वर्षों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं (बाणसागर, राष्ट्रीय सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक नहर परियोजना आदि) को पूरा कर सिंचाई क्षमता में विस्तार, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत गेहूं और धान की खरीद की पारदर्शी व्यवस्था, समयबद्ध भुगतान, कई नयी फसलों खास कर मोटे अनाजों (मिलेट्स) को एमएसपी के दायरे में लाना।

गन्ने की खेती से जुड़े करीब 50 लाख किसानों के हित के लिए समयबद्ध भुगतान, चीनी मिलों का आधुनिकीकरण, नयी चीनी मिलों की स्थापना, गन्ने की पेराई सीजन के दिनों में वृद्धि, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का प्रभावी क्रियान्वयन, समय से खाद, बीज की उपलब्धता आदि ऐसे कदम रहे जिससे किसानों की आय बढ़ी। इसका नतीजा यह रहा कि हर फसल के उत्पादन में इस दौरान रिकॉर्ड वृद्धि हुई। खासकर दलहन और तिलहन में। इन्हीं सारी वजहों से बहुउपयोगी ट्रैक्टर की खरीद और संख्या में वृद्धि हुई है।

ट्रैक्टरों की संख्या में यह वृद्धि आगे अभी और रंग लाएगी, क्योंकि मौजूदा समय में ट्रैक्टर के बिना खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह सिर्फ जोताई के काम नहीं आता है। खेती के अन्य कार्यों में भी मददगार साबित होता है।

ट्रैक्टर के जरिए संचालित होने वाले इन सभी कृषि यंत्रों पर सरकार करीब 50 फीसद अनुदान देती है। इनके प्रयोग से श्रम की लागत घटती है। खेत की तैयारी, बुआई और फसल की कटाई से लेकर मड़ाई तक का काम आसान तथा अच्छा हो जाता है। यकीनन आने वाले वर्षों में किसानों की आय एवं ट्रैक्टर की संख्या भी बढ़ेगी। तब राज्य की पहचान देश की ‘खाद्य टोकरी’ के रूप में होगी।

बाजार के जानकारों के अनुसार रबी की अच्छी पैदावार, खरीफ में मौसम विभाग द्वारा अच्छी बारिश का पूर्वानुमान और बेहतर फसल के नाते यह रिकॉर्ड बनना संभव होगा।

भाषा

जफर, रवि कांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)