उप्र में शिक्षा योजना कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू |

उप्र में शिक्षा योजना कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

उप्र में शिक्षा योजना कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

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Modified Date: April 15, 2025 / 10:14 PM IST
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Published Date: April 15, 2025 10:14 pm IST

लखनऊ, 15 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने और शासन की योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू कराने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में ‘सोशल ऑडिट’ प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है।

फिलहाल, इस कार्यक्रम में प्रदेश के 14 जनपदों (अंबेडकर नगर, अमेठी, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, अयोध्या, गोंडा, खीरी, रायबरेली, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सीतापुर और सुल्तानपुर) के चयनित ‘कलस्टर सोशल ऑडिटर’ (सीएसए) को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘ प्रदेश के शेष जिलों में भी योजना के अंतर्गत कार्य प्रगति पर है। संबंधित विश्वविद्यालयों को आवंटित जिलों में प्रशिक्षण प्रक्रिया पूर्ण होते ही ‘सोशल ऑडिट’ का कार्य सक्रिय रूप से पूरे प्रदेश में प्रारंभ कर दिया जाएगा। अभी यह प्रशिक्षण 23 अप्रैल 2025 तक जनपदों के जिला मुख्यालयों पर आयोजित हो रहा है।’’

बयान के अनुसार, लखनऊ स्थित इंटीग्रल विश्विद्यालय से नामित नोडल अधिकारी प्रोफेसर एच. एम. आरिफ, डॉ. आरीना और समन्वयक डॉ. वान्या की देखरेख में इन 14 जिलों में ‘सोशल ऑडिट’ कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।

इसमें बताया गया कि प्रत्येक सत्र में 20 से 60 तक प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक 270 से अधिक सीएसए को प्रशिक्षण मिल चुका है।

स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य विद्यालयों में वर्दी, पाठ्य-पुस्तक वितरण, मध्याह्न भोजन, पोषक आहार, बुनियादी ढांचे संबंधी सुविधा, समावेशी शिक्षा जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखना है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के जमीनी स्तर पर उचित क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने में सीएसए की भूमिका निर्णायक होगी।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं कई बार यह कहा है कि सरकार की योजनाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब उनका लाभ समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक पहुंचे और यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनकी उसी सोच की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है।

भाषा राजेंद्र सिम्मी

सिम्मी

 

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