जिसकी जैसी दृष्टि, उसको वैसी ही सृष्टि महाकुंभ में देखने को मिली : मुख्यमंत्री आदित्यनाथ

जिसकी जैसी दृष्टि, उसको वैसी ही सृष्टि महाकुंभ में देखने को मिली : मुख्यमंत्री आदित्यनाथ

जिसकी जैसी दृष्टि, उसको वैसी ही सृष्टि महाकुंभ में देखने को मिली : मुख्यमंत्री आदित्यनाथ
Modified Date: March 5, 2025 / 01:14 pm IST
Published Date: March 5, 2025 1:14 pm IST

लखनऊ, पांच मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसकी जैसी दृष्टि थी उसको वैसी ही सृष्टि प्रयागराज महाकुंभ में देखने को मिली।

उन्होंने विधान परिषद में बजट पर चर्चा के दौरान यह भी कहा कि कई पार्टियां और संगठन इस आयोजन को लेकर अनर्गल बातें कर रहे थे लेकिन सरकार उनकी मौन साक्षी बनकर अपनी जिम्मेदारियां निभा रही थी।

आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘जब महाकुंभ का आयोजन हो रहा था उस समय हम लोग इस बात का अनुभव कर रहे थे कि बहुत सारे ऐसे माननीय सदस्य थे, या ऐसी पार्टियां थीं, ऐसे संगठन थे जो तमाम तरह के अनर्गल प्रलाप उस समय कर रहे थे लेकिन उस सबसे इतर रहकर के हम लोग उन सभी घटनाओं के मौन साक्षी बनाकर अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन कर रहे थे।’’

 ⁠

उनका कहना था, ‘‘भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद् भागवत गीता में इस बात का उल्लेख किया है कि मुझे जो जिस रूप में स्मरण करता है मैं उसी रूप में उसको दिखाई देता हूं। मुझे लगता है कि जिसकी जैसी दृष्टि थी उसको वैसी ही सृष्टि प्रयागराज में देखने को मिली।’’

आदित्यनाथ ने कहा कि कुंभ के बारे में चर्चा वही कर सकता है जिसने महाकुंभ का दर्शन किया हो और महाकुंभ की नगरी में जाकर जो साक्षात इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन में सहभागी बना हो।

उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला आयोजन है जिसको पूरी दुनिया की मीडिया ने सराहा है। चाहे वह ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ (अमेरिकी अखबार) हो, ‘बीबीसी’ हो, ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ हो, रायटर हो, द गार्जियन हो, सीएनएन हो, इन सब ने इस महा आयोजन की तारीफ की।’’

मुख्यमंत्री के अनुसार, महाकुंभ प्रयागराज हर उसे व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर छाता हुआ नजर आया है जो अपने आप में दुनिया का एक ‘‘यूनीक इवेंट’’ (अद्भुत आयोजन) बनकर लंबे समय तक दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत संवाद है। अपने विचारों की अभिव्यक्ति मर्यादा के दायरे में हम अपनी अभिव्यक्ति को सदन के मंच पर रखें, इससे बड़ी दूसरी बात नहीं हो सकती है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के बजट को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष से जुड़े हुए सदस्यों ने जो रुचि ली है इस सदन के सामने अपने बहुमूल्य विचार रखे हैं मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं।’’

भाषा सलीम मनीषा हक

हक


लेखक के बारे में