हिंदू धर्म में वापसी करने वाली महिलाओं का दावा : मिल रही है जान से मारने की धमकी

हिंदू धर्म में वापसी करने वाली महिलाओं का दावा : मिल रही है जान से मारने की धमकी

हिंदू धर्म में वापसी करने वाली महिलाओं का दावा : मिल रही है जान से मारने की धमकी
Modified Date: July 14, 2025 / 08:33 pm IST
Published Date: July 14, 2025 8:33 pm IST

लखनऊ, 14 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण गिरोह चलाने के आरोपी छांगुर बाबा द्वारा कथित रूप से इस्लाम धर्म में दाखिल करायी गयी कुछ महिलाओं ने सोमवार को दावा किया कि हिंदू धर्म में वापसी के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

खुद को छांगुर बाबा के गिरोह का शिकार बताने वाली महिला ने संवाददाताओं को बताया कि अबू अंसारी नामक व्यक्ति ने अपना नाम अमित बताकर उससे मेलजोल बढ़ाया और वह अमित के रूप में ही उसके परिवार से भी मिला था।

महिला ने बताया कि वह छांगुर बाबा से पहली बार 2019 में मिली थी। उस जगह का माहौल बहुत अजीब था। वहां केवल महिलाएं ही थीं। उनका ‘ब्रेनवॉश’ किया गया था। छांगुर ने लगभग पांच हजार लोगों का धर्मांतरण कराया था।

 ⁠

महिला ने कहा कि छांगुर बाबा को भले ही गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन उसके गिरोह के सक्रिय सदस्यों की गिरफ्तारी अभी बाकी है। उसने दावा किया कि हिंदू धर्म में वापसी के बाद उसे धमकियां मिल रही हैं।

एक अन्य महिला ने आरोप लगाया कि उसे एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया गया था। छांगुर बाबा और उसके साथी वर्ष 2047 तक भारत को एक इस्लामिक देश बनाना चाहते थे।

विश्व हिंदू रक्षा परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने भी संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि विश्व हिंदू रक्षा परिषद की मदद से दोबारा हिंदू धर्म अपना चुके लोगों को जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। ये धमकियां सोशल मीडिया और स्पीड पोस्ट से भेजे गए पत्रों के जरिए दी जा रही हैं।

राय ने यह भी आरोप लगाया कि कथित ‘लव जिहाद’ की शिकार कुछ महिलाओं को छांगुर बाबा के नेटवर्क से जुड़े लोग धमकियां दे रहे हैं। इसके लिये वह गोमती नगर थाने में शिकायत दर्ज कराने गए थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की गई।

राय ने यह भी बताया कि छांगुर बाबा के पाश में आकर इस्लाम धर्म अपनाने वाले लोगों ने तीन जुलाई को विश्व हिंदू रक्षा परिषद द्वारा आयोजित घर वापसी में हिस्सा लिया था। उसके बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

भाषा

सलीम, रवि कांत रवि कांत


लेखक के बारे में