ख़तना के दौरान 10 वर्षीय बच्चे की मौत, परिजनों ने अस्पताल पर लगाया बड़ा आरोप

10 year old child dies during circumcision: इस मामले में डॉक्टर बच्चे के सही और सुरक्षित ख़तने के लिए एनेस्थीसिया की ज़रूरत बताते हैं। लेकिन ख़तने के दौरान बेहोशी कितनी ज़रूरी है? और क्या यह ख़तरनाक हो सकती है ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं।

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  • Publish Date - February 24, 2024 / 09:57 AM IST,
    Updated On - February 24, 2024 / 09:57 AM IST

10 year old child dies during circumcision

10 year old child dies during circumcision: ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक प्राइवेट अस्पताल में ख़तना करवाने के दौरान एक 10 साल के लड़के की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अहनाफ़ तहमीद को मंगलवार की रात ख़तना करवाने के लिए अस्पताल लाया गया था। वहीं उसके घर वालों का आरोप है कि बच्चे की मौत उनसे इजाज़त लिए बिना ‘पूरी तरह बेहोश करने’ की वजह से हुई है।

बता दें कि यह ऐसा पहला मामला नहीं है। डेढ़ महीने पहले बांग्लादेश में ही एक और बच्चे आयान अहमद की मौत भी ख़तना करवाने के दौरान हो गई थी। उस समय भी परिजनों ने भी ऐसी ही शिकायत की थी। कई दशकों से यहां पर बेहोश किए बगैर हज्जाम ख़तना करते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में डॉक्टर के ज़रिए सर्जिकल ख़तना करने का प्रचलन चल पड़ा है। इस मामले में डॉक्टर बच्चे के सही और सुरक्षित ख़तने के लिए एनेस्थीसिया की ज़रूरत बताते हैं। लेकिन ख़तने के दौरान बेहोशी कितनी ज़रूरी है? और क्या यह ख़तरनाक हो सकती है ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं।

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बच्चे के परिनजों की माने तो दस साल के अहनाफ़ तहमीद को मंगलवार की रात लगभग आठ बजे बजे ढाका के माली बाग चौधरी पाड़ा में जेएस डायग्नोस्टिक ऐंड मेडिकल चेकअप सेंटर में ख़तने के मक़सद से ले जाया गया था। ख़तना करने की सर्जरी साढ़े आठ बजे ख़त्म हो गई लेकिन उसके एक घंटे के बाद भी बच्चा होश में नहीं आया।

पहले तो डॉक्टर यह कहते रहे कि थोड़ी देर में होश में आ जाएगा, लेकिन लगभग दस बजे उन्हें बताया गया कि उनके बेटे की हालत बिगड़ रही है। परिवार को बताया गया कि लड़के को तुरंत दूसरे अस्पताल की आईसीयू में ले जाने की जरूरत है क्योंकि उनके पास आईसीयू नहीं है। इसके बाद परिवार ने बेटे को आईसीयू में ले जाने के लिए पास के निजी अस्पताल से संपर्क किया। रात साढ़े दस बजे उसे अस्पताल से एंबुलेंस भी आई लेकिन तब तक तहमीद की मौत हो चुकी थी।

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बच्चे के पिता फख़रुल आलम ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को बिना इजाज़त ‘फ़ुल एनेस्थीसिया’ दिया गया था। जब मैं अपने बेटे को अस्पताल लेकर गया तो मैं डॉक्टर के हाथ पड़कर उनसे गुज़ारिश की कि वह मेरे बेटे को ‘फ़ुल एनेस्थीसिया’ न दें। लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी और मेरे स्वस्थ बेटे को मार डाला।

इस घटना के बाद बच्चों के घर वालों ने मंगलवार की रात हाथीर झील थाने में मुक़दमा दर्ज करवाया जिसमें अस्पताल के मालिक और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर के नाम दर्ज किए गए हैं। फख़रुल आलम कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि इस घटना मैं इंसाफ़ किया जाए। मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों।