धूलकणों के जरिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक पहुंच सकते हैं जीवाणु : अध्ययन

धूलकणों के जरिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक पहुंच सकते हैं जीवाणु : अध्ययन

धूलकणों के जरिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक पहुंच सकते हैं जीवाणु : अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 pm IST
Published Date: December 14, 2020 5:16 am IST

लंदन, 14 दिसंबर (भाषा) कुछ जीवाणु वातावरण में मौजूद धूल के जरिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में पहुंच सकते हैं। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि ये जीवाणु ना केवल इंसानों और जानवरों की सेहत को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि जलवायु और पारिस्थितिकी पर भी असर डाल सकते हैं।

शोध पत्रिका एटमॉसफेरिक रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में अति सूक्ष्म जीवों के वायुमंडल में पनपे सूक्ष्म कणों के साथ एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में जाने की गुत्थी सुलझाने का प्रयास किया गया है। इन्हीं कणों के संपर्क में आकर मानव संक्रमित हो जाते हैं।

स्पेन में ग्रेनेडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार ये सूक्षम कण जीवाणुओं के लिए ‘‘वाहक’’ का काम करते हैं। इनसे समूचे महाद्वीप में बीमारी के संक्रमण का खतरा रहता है।

 ⁠

उन्होंने बताया कि इन सूक्ष्म कणों यानि के आईबेरुलाइट को भी माइक्रोस्कोप की मदद से ही देखा जा सकता है लेकिन ये अतिसूक्ष्म कणों से थोड़े बड़े होते हैं। ये कई खनिज लवणों से बने होते हैं।

वैज्ञानिकों ने आईबेरुलाइट के बारे में 2008 में पता लगाया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि जीवाणुओं के आईबेरुलाइट के संपर्क में आने की प्रक्रिया को लेकर शोध जारी है।

मौजूदा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ग्रेनेडा शहर के वायुमंडल में मौजूद धूल कणों का अध्ययन किया।

अध्ययन के अनुसार ये धूल कण उत्तर-उत्तर पूर्वी अफ्रीका में सहारा मरुस्थल से थे जिसमें ग्रेनेडा की मिट्टी के भी कण मिले थे।

विश्वविद्यालय में अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक अल्बर्टो मोलीनेरो ग्रेसिया ने कहा, ‘‘जीवाणु आईबेरुलाइट पर जीवित रह सकते हैं क्योंकि उनमें पोषक तत्व मौजूद रहते हैं।’’

भाषा सुरभि नरेश

नरेश


लेखक के बारे में