बारबाडोस: गणतंत्र बनने के बाद उज्ज्वल भविष्य की ओर देख रहा है देश

बारबाडोस: गणतंत्र बनने के बाद उज्ज्वल भविष्य की ओर देख रहा है देश

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  • Publish Date - December 1, 2021 / 08:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

(मैट क्वार्ट्रुप, प्रमुख, एप्लाइड पॉलिटिकल साइंस, कोवेंट्री विश्वविद्यालय)

कोवेंट्री (ब्रिटेन), एक दिसंबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन से 1966 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के 55 साल बाद, बारबाडोस एक गणतंत्र बन गया है। वहीं, अन्य राष्ट्रमंडल देश भी उसके इस कदम का अनुसरण कर सकते हैं।

छोटे कैरिबियाई द्वीपीय देश के 3,00,000 नागरिकों के लिए गणतंत्र में परिवर्तित होने में लंबा समय लगा। बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने लंबे समय से इस बदलाव की वकालत की है। 2005 में मोटली ने देश की उप प्रधानमंत्री रहने के दौरान कहा था कि बारबेडियन लेबर पार्टी (बीएलपी) इस मुद्दे पर एक जनमत संग्रह कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा था, ‘‘हम स्वीकार करते हैं कि इसे लेकर एक चिंता है कि अकेले सरकार को यह निर्णय नहीं लेना चाहिए और इसलिए हम अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि जनता उस पर निर्णय करे।’’

जनमतसंग्रह 2008 में कराने की योजना बनाई गई थी। उसी समय वित्तीय संकट आ गया और इस तरह का जनमत संग्रह कराना अत्यधिक खर्चीला माना गया, इसलिए इसे स्थगित कर दिया गया।

ऐसी अटकलें हैं कि (ब्रिटेन की) महारानी से अलग होना ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन से जुड़ा है। निश्चित रूप से, मोटली ने इसका इस्तेमाल मुद्दे के लिए ध्यान आकर्षित करने और जनता का समर्थन जुटाने के लिए किया लेकिन वास्तव में, एक गणतंत्र लंबे समय से एजेंडे में रहा है। 2008 और 2018 के बीच उनकी पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बावजूद यह मुद्दा चर्चा में रहा। 2015 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री एफ. स्टुअर्ट ने कहा था कि बारबाडोस एक गणतंत्र की ओर बढ़ रहा।

उन्होंने कहा था, ‘‘हम राष्ट्रमंडल के प्रमुख के रूप में (महारानी का) बहुत सम्मान करते हैं और स्वीकार करते हैं कि वह और उनके सभी उत्तराधिकारी हमारी राजनीतिक समझ के शीर्ष पर बने रहेंगे। लेकिन बारबाडोस की संवैधानिक स्थिति के संदर्भ में, हमें निकट भविष्य में राजशाही व्यवस्था को एक गणतांत्रिक सरकार से बदलना होगा।’’

मोटली की बीएलपी ने 2018 के चुनाव में एक शानदार जीत हासिल करते हुए सभी 30 संसदीय सीटों पर कब्जा कर लिया। इससे उनके प्रशासन को गणतंत्र बनने की योजना के साथ आगे बढ़ने का मौका मिला। वास्तव में, यह कोई विवादास्पद मुद्दा नहीं था क्योंकि दोनों पक्षों ने गणतांत्रिक उद्देश्य का समर्थन किया था।

इस बार बिना किसी जनमत संग्रह के निर्णय लिया गया। 2008 में तुवालु द्वीप और 2009 में पड़ोसी सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के विपरीत, मतदाताओं को मतदान करने का मौका नहीं दिया गया। शायद इसलिए कि इन दो द्वीपीय देशों के नागरिकों ने मतदान में देश के निर्वाचित प्रमुख के लिए ‘नहीं’ कहा था।

1996 में, एक संविधान समीक्षा आयोग को राजशाही के साथ बारबाडोस के संबंध का पता लगाने का काम दिया गया था। 1998 में इसने सिफारिश की कि बारबाडोस एक संसदीय गणराज्य बन जाए। 2005 में, देश ने लंदन स्थित ज्यूडिशियल कमेटी आफ प्रिवी काउंसिल के स्थान पर त्रिनिदाद और टोबैगो में कैरेबियन कोर्ट ऑफ जस्टिस को अपीलीय अदालत स्वीकार कर लिया था।

बारबाडोस संविधान के अनुच्छेद 49 में कहा गया है कि: ‘‘संसद दोनों सदनों द्वारा पारित संसद की एक अधिनियम द्वारा इस संविधान को बदल सकती है।’’ इसलिए संविधान के कानूनी आधार को राजशाही से गणतंत्र में बदलने में बहुत अधिक समय नहीं लगा।

बारबाडोस का यह निर्णय अन्य देशों को गणतांत्रिक मॉडल अपनाने का निर्णय लेने के लिए प्रेरित कर सकता है। जमैका में दोनों राजनीतिक दलों ने गणतंत्र बनने के पक्ष में बात की है। 2003 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं पीपुल्स नेशनल पार्टी के पी.जे. पैटरसन ने पार्टी के एक सम्मेलन में कहा था, ‘‘ अब समय आ गया है हमारे पास हमारे द्वारा चुने गए देश का प्रमुख होना चाहिए।’’

2020 में किये गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी कि जमैका के 55 प्रतिशत लोग राजशाही के साथ देश के संबंध को समाप्त करना चाहते हैं।

यहां तक ​​​​कि ब्रिटेन में भी राजशाही के लिए समर्थन में कमी आ रही है, खासकर युवाओं में।

इस बीच, पड़ोसी न्यूजीलैंड में, हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इसमें शामिल किये गये 50 प्रतिशत लोगों ने वर्तमान महारानी का निधन हो जाने की स्थिति में भी राजशाही को बनाए रखने का समर्थन किया, जबकि 44 प्रतिशत ने एक गणतंत्र का समर्थन किया।

द कन्वरसेशन अमित सुभाष

सुभाष