बर्ड फ्लू की चेतावनी को नजरअंदाज किया जा रहा, यह चलन पहले भी दिखा था

बर्ड फ्लू की चेतावनी को नजरअंदाज किया जा रहा, यह चलन पहले भी दिखा था

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  • Publish Date - December 20, 2025 / 04:54 PM IST,
    Updated On - December 20, 2025 / 04:54 PM IST

(निक्की इकानी, किंग्स कॉलेज लंदन)

लंदन, 20 दिसंबर (द कन्वरसेशन) प्रकाशन की दुनिया में एक अलिखित नियम है, या कम से कम मुझे यही बताया गया था कि कोविड के बारे में मत लिखो। अपार्टमेंट के तंग कोने में एक कमरे में बंद होकर बिताए गये उन अंतहीन महीनों ने हमारी सामूहिक एकाग्रता को थका दिया था। हम बाहर उस दुनिया को ताकते रहते थे, जिसका अब हम हिस्सा नहीं रह गए थे।

जब हमारे जीवन का वह सबसे बुरा दौर बीत गया, तो हमें उसे भुला देने की इच्छा हुई।

लेकिन ऐसा करने में, हमने उस समय के कठिन अनुभवों से मिले सबक को भी भुला दिया कि व्यवस्थाएं कितनी जल्दी चरमरा जाती हैं, कैसे दो दशकों से कोरोना वायरस की चेतावनियों के बावजूद तैयारियां अपर्याप्त रहीं और कैसे सुरक्षा के लिए जिन तंत्रों पर हम भरोसा करते हैं, वे ही अगली आपदा का आधार बन सकते हैं।

यह अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि एक और खतरा उभर रहा है, अत्यधिक संक्रामक ‘एवियन इन्फ्लूएंजा’, जिसे बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है।

बर्ड फ्लू से मनुष्यों में संक्रमण फैलने की संभावना अभी कम है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह वायरस नुकसान नहीं पहुंचाता।

एच5 वायरस पक्षियों के लिए बेहद घातक है क्योंकि इसका शिकार होने पर 90 लाख पक्षी मर चुके हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए करोड़ों पक्षियों को मारा गया है।

चिंताजनक बात यह है कि यह वायरस स्तनधारियों में भी तेजी से फैल रहा है। अब तक, एलीफैंट सील से लेकर ध्रुवों पर पाये जाने वाले भालू तक, कम से कम 74 स्तनधारी प्रजातियों की बड़े पैमाने पर मौत हो चुकी है।

यूरोप में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सितंबर की शुरुआत से नवंबर 2025 के मध्य तक, 26 देशों में 1,444 संक्रमित जंगली पक्षी पाए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना अधिक हैं।

मनुष्यों में संक्रमण के मामले अब भी दुर्लभ हैं। वर्ष 2003 से अब तक दुनिया भर में संक्रमण के केवल 992 पुष्ट मामले सामने आए हैं, लेकिन मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है। लेकिन संख्या बढ़ रही है।

अमेरिका में वर्ष 2022 से अब तक 75 मामले दर्ज किए गए हैं और नवंबर में पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे एक मरीज की इस संक्रमण से मौत हो गयी, जो बर्ड फ्लू से हुई पहली मौत है।

हालांकि, यूरोप में मनुष्यों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन यूरोपीय रोग निवारण एवं नियंत्रण केंद्र चेतावनी देता है कि बड़े पैमाने पर जानवरों के आवागमन से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

मेरा शोध इस बात पर केंद्रित है कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से लेकर खुफिया विफलताओं व औद्योगिक दुर्घटनाओं तक, किसी भी आपदा से पहले चेतावनी किस प्रकार विफल हो जाती है।

अक्सर ये चलन एक जैसा ही होता है।

अग्रिम पंक्ति के पर्यवेक्षक किसी घटना को जल्दी पहचान लेते हैं लेकिन जैसे-जैसे चीजें नौकरशाहों से ऊपर के अधिकारियों के पास जाती हैं उसका प्रभाव कम होता जाता है।

हांगकांग में हाल ही में लगी आग इसका एक और दुखद उदाहरण है। ‘वांग फुक कोर्ट’ के निवासियों ने आग लगने से बहुत पहले ही लाइटर से आग पकड़ने वाले स्टायरोफोम बोर्ड, अप्रमाणित जाल और सुरक्षा नोटिसों की अनदेखी के बारे में कई बार चेतावनी दी थी, फिर भी उनकी चिंताओं पर कभी ध्यान नहीं दिया गया।

‘बर्ड फ्लू’ को लेकर भी अब कुछ इसी तरह रवैया है। बदलाव का पता लगाने की तकनीकी क्षमता मौजूद है, पशु चिकित्सक, विषाणु विज्ञानी और निगरानी प्रणालियां संकेतों को पकड़ रही हैं, वायरस का अनुक्रमण कर रही हैं और प्रकोपों ​​का रिकॉर्ड रख रही हैं।

लेकिन वायरस को शुरुआती चरणों में पकड़ने के लिए बनाई गई अवसंरचना कमजोर पड़ रही है। जो एजेंसियां ​​कभी उभरते महामारी के खतरों का खाका तैयार करती थीं, वे खोखली हो गई हैं क्योंकि उनके बजट में कटौती की गई है और उनके कर्मचारी गायब हो गए हैं।

निगरानी व्यवस्था लड़खड़ाई

यूरोप के 31 देशों के एक अध्ययन में चेतावनी दी गई कि कोविड ने ‘तैयारी में गंभीर कमी’ को उजागर किया और भविष्य में किसी भी प्रतिक्रिया के लिए मानकीकृत संकेतकों और खुले डेटा को आधार बनाने का आग्रह किया गया।

यूरोपीय संघ की हाल ही में शुरू की गई महामारी-पूर्व योजना एक अच्छा कदम है लेकिन यह दैनिक निगरानी और प्रतिक्रिया में मौजूद कमियों को छिपा नहीं सकती, जिससे देश अब भी असुरक्षित हैं।

ब्रिटेन में घरेलू निगरानी क्षमता पर भी दबाव पड़ा है, यूरोपीय रोग संबंधी जानकारी तक पहुंच में कमी और पशु चिकित्सकों की चली आ रही कमी ने रोगों की प्रारंभिक पहचान को कमजोर कर दिया है।

संस्थानों के भीतर बीमारी का पता लगाने की क्षमता में कमी का सीधा असर जनता पर पड़ता है।

चेतावनी अगर कमजोर होगी तो शायद ही दूर तक जानकारी पहुंचेगी।

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण से यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका के अधिकांश लोग बर्ड फ्लू को एक गंभीर खतरा मानते ही नहीं हैं।

स्थिति और भी खराब इसलिए है क्योंकि मनुष्यों में इसके लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता।

इस साल की शुरुआत में एक डेयरी कर्मचारी में पाया गया मामला आंखों की सूजन जैसा ही लग रहा था।

इन सब बातों का यह मतलब नहीं है कि कोई नई महामारी आने वाली है।

स्वास्थ्य अधिकारी अब भी यही कह रहे हैं कि बर्ड फ्लू के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रभावी रूप से फैलने की संभावना कम है।

ये वायरस शायद ही कभी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। और हम असहाय नहीं हैं। हम कोविड से पहले की तुलना में कहीं बेहतर तरीके से तैयार हैं। हमारे पास टीके उपलब्ध हैं, स्पष्ट प्रोटोकॉल हैं और ऐसी एजेंसियां ​​हैं जिन्होंने इससे सबक सीखा है।

लेकिन कम का मतलब बिल्कुल न होना नहीं है। और अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। अधिकांश लोगों में मौसमी फ्लू के संक्रमणों से लड़ने की कुछ हद तक प्रतिरोधक क्षमता होती है। लेकिन शायद हमारे पास बर्ड फ्लू से लड़ने की कोई प्रतिरोधक क्षमता नहीं है।

द कन्वरसेशन जितेंद्र संतोष

संतोष