कैलिफोर्निया के सरकारी विभाग ने जातिगत भेदभाव मामले में ईमानदारी नहीं दिखाई: सिस्को कर्मचारी |

कैलिफोर्निया के सरकारी विभाग ने जातिगत भेदभाव मामले में ईमानदारी नहीं दिखाई: सिस्को कर्मचारी

कैलिफोर्निया के सरकारी विभाग ने जातिगत भेदभाव मामले में ईमानदारी नहीं दिखाई: सिस्को कर्मचारी

:   Modified Date:  June 9, 2023 / 12:32 PM IST, Published Date : June 9, 2023/12:32 pm IST

(ललित के. झा)

वाशिंगटन, नौ जून (भाषा) ‘सिस्को सिस्टम्स’ के 30 से अधिक मौजूदा व पूर्व कर्मचारियों ने कैलिफोर्निया राज्य के एक प्रमुख सरकारी विभाग पर एक चर्चित मामले को संभालने में ईमानदारी नहीं दिखाने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले में कर्मचारियों व नियोक्ता को अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया।

‘कास्ट गेट’ नामक संगठन की ओर से बुधवार को जारी खुले पत्र में कर्मचारियों ने कहा, “हम सिस्को के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के विविध समूह हैं। कैलिफोर्निया नागरिक अधिकार विभाग (सीआरडी) ने हमारे संगठन की संस्कृति और नैतिकता के खिलाफ अदालती दस्तावेजों में गलत बयानी की है, जिसकी वजह से हमने अपने जीवन पर हानिकारक प्रभाव महसूस किया है।”

पत्र में यह भी बताया गया है कि सीआरडी के मामले ने दक्षिण एशियाई अप्रवासी पृष्ठभूमि के लोगों को रोजगार देने वाले व्यवसायों की छवि को नुकसान पहुंचाया है और उनके लिए सिलिकॉन वैली में रहना मुश्किल बना दिया है।

पत्र में कहा गया है कि नागरिक अधिकारों की रक्षा का महान कर्तव्य निभाने वाली एजेंसी के साथ दुर्व्यवहार किया गया।

पत्र में कहा गया है, “इस मामले ने हमारे करियर में रुकावटें पैदा की हैं और कई लोगों के जीवन पर एक हानिकारक निशान छोड़ा है। लोगों को डर है कि वे किसी तरह के कथित भेदभाव की चपेट में न आ जाएं, इसलिए वे आपस में बातचीत करने से परहेज कर रहे हैं।”

पत्र में कहा गया है, “विशेष रूप से यदि वे अप्रवासी दक्षिण एशियाई पृष्ठभूमि के हैं, तो किसी व्यक्ति की जातीय पृष्ठभूमि पर आधारित अपमानजनक प्रश्न आम हो गए है। यहां तक कि प्रतिष्ठित समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने विश्वसनीय सहायक साक्ष्यों पर आधारित ऐसे गुमनाम पत्र प्रकाशित करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई, जिसमें कहा गया था कि ‘भारतीय प्रबंधकों के साथ काम करना नरक में रहने जैसा है। यह घोर नस्लवाद को दर्शाता है। इससे हमपर गंभीर भावनात्मक प्रभाव पड़ा है।”

कर्मचारियों ने मांग की, “हमें यह आवश्यक लगता है कि सीआरडी सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और हमें किसी भी निहित दोष से मुक्त करे और ऐसा करके हमारी प्रतिष्ठा को बहाल करने में मदद करे। ऐसा नहीं होने पर हमारा स्थायी नुकसान होगा।”

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)