लंदन, 16 अप्रैल (एपी) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाया कि ब्रिटेन के समानता कानून के अनुसार महिला का अर्थ जैविक रूप से जन्म लेने वाली महिला है।
न्यायमूर्ति पैट्रिक हॉज ने कहा कि न्यायालय के पांच न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि ‘‘समानता अधिनियम में ‘महिला’ और ‘लिंग’ शब्द जैविक महिला और जैविक लिंग को संदर्भित करते हैं।’
इस फैसले का अर्थ यह है कि अगर ट्रांसजेंडर व्यक्ति के पास महिला के रूप में मान्यता देने वाला प्रमाणपत्र है, तो समानता के उद्देश्य से उसे महिला नहीं माना जाना चाहिए।
लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि उसका फैसला ‘‘ट्रांस लोगों से सुरक्षा नहीं हटाता’’, जिन्हें “लिंग परिवर्तन के आधार पर भेदभाव से सुरक्षा प्राप्त है।”
यह मामला स्कॉटिश संसद द्वारा पारित 2018 के कानून से उत्पन्न हुआ जिसमें कहा गया है कि स्कॉटलैंड के सार्वजनिक निकायों के बोर्ड में 50 प्रतिशत महिला प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इस कानून में महिलाओं की परिभाषा में ट्रांसजेंडर महिलाओं को भी शामिल किया गया था।
महिला अधिकार समूह ‘फॉर वुमन स्कॉटलैंड’ (एफडब्ल्यूएस) ने कानून को चुनौती दी थी और कहा था कि ‘महिला’ शब्द की पुनर्परिभाषा संसद की शक्तियों से परे है। लेकिन इसके बाद स्कॉटिश अधिकारियों ने नए दिशानिर्देश जारी किए, जिनमें कहा गया कि महिला की परिभाषा में लिंग पहचान प्रमाणपत्र रखने वाला व्यक्ति भी शामिल है।
एफडब्ल्यूएस की चुनौती को 2022 में एक अदालत ने खारिज कर दिया था, लेकिन उसे पिछले साल अपना मामला उच्चतम न्यायालय ले जाने की अनुमति दे दी गई थी।
एपी नेत्रपाल माधव
माधव
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