सूअर के यकृत के जरिये मनुष्य का इलाज करने के क्लिनिकल परीक्षण को एफडीए ने दी मंजूरी |

सूअर के यकृत के जरिये मनुष्य का इलाज करने के क्लिनिकल परीक्षण को एफडीए ने दी मंजूरी

सूअर के यकृत के जरिये मनुष्य का इलाज करने के क्लिनिकल परीक्षण को एफडीए ने दी मंजूरी

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Modified Date: April 15, 2025 / 09:32 PM IST
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Published Date: April 15, 2025 9:32 pm IST

वाशिंगटन, 15 अप्रैल (एपी) अमेरिकी अनुसंधानकर्ता शीघ्र ही यह परीक्षण करेंगे कि क्या जीन में बदलाव किये गए सूअर के यकृत (लिवर) के जरिये उन लोगों का इलाज किया जा सकता है, जिनके यकृत ने अचानक काम करना बंद कर दिया हो।

अंग प्रतिरोपण के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाली कंपनी ‘ईजेनेसिस’ के अनुसार, अपनी तरह के पहले क्लिनिकल परीक्षण को (अमेरिका के) खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा मंजूरी दे दी गई है, जिसने अपने साझेदार ‘ऑर्गनऑक्स’ के साथ मंगलवार को इसकी घोषणा की।

अनुमान है कि अमेरिका में हर साल 35,000 लोग अचानक यकृत खराब हो जाने के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं। उपचार के बहुत कम विकल्प हैं और मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक है। बहुत से लोगों को समय पर प्रतिरोपण के लिए उनके शरीर के लिए उपयुक्त यकृत नहीं मिल पाता है।

नया अध्ययन, जिसके शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है, पशु से मानव अंग प्रतिरोपण की खोज में एक नया अध्याय है। अनुसंधानकर्ता सूअर के यकृत को प्रतिरोपित नहीं करेंगे, बल्कि इसे अध्ययन में शामिल किये जाने वाले प्रतिभागियों के शरीर में बाहरी रूप से जोड़ेंगे।

यकृत ही एकमात्र ऐसा अंग है, जिसे फिर से तैयार किया सकता है।

मैसाचुसेट्स स्थित ईजेनेसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइक कर्टिस ने कहा कि चार शवों के साथ किए गए प्रयोगों में, यह पता चला कि सूअर का यकृत दो या तीन दिनों तक मानव यकृत के कुछ कामकाज में मदद कर सकता है।

ईजेनेसिस सूअरों को आनुवंशिक रूप से संशोधित करता है।

परीक्षण में गहन देखभाल इकाइयों में 20 मरीजों को शामिल किया जाएगा।

एपी सुभाष दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)