(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 23 सितंबर (भाषा) भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के त्रिपक्षीय मंच (आईबीएसए) ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने को चिंता व्यक्त की और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता पर जोर दिया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री मौरो विएरा और दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री ग्रेस नलेदी पंडोर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र से इतर शुक्रवार को यहां 11वें आईबीएसए त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय आयोग की बैठक की।
बैठक के बाद एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया कि मंत्रियों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता पर बल दिया।
इसमें कहा गया है कि उन्होंने निरस्त्रीकरण सम्मेलन के ढांचे के तहत प्रयासों सहित वैश्विक हथियार नियंत्रण, निरस्त्रीकरण और अप्रसार को मजबूत करने का आह्वान किया।
मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद एक वैश्विक संकट है जिसका मुकाबला किया जाना चाहिए और दुनिया के हर हिस्से में आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म किया जाना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी एकजुटता और संकल्प की पुष्टि करते हुए, मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार एक वास्तविक व्यापक अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा स्थापित करने का आह्वान किया।
मंत्रियों ने आतंकवाद रोधी सहयोग को और मजबूत करने की उम्मीद व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समितियों के कामकाज के तरीकों में तत्काल सुधार का आह्वान किया ताकि उनकी प्रभावशीलता, जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
मंत्रियों ने इस बात पर बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में व्यापक सुधार किया जाना चाहिए और सुरक्षा परिषद में सुधार को आगे बढ़ाना एक तत्काल और सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
मंत्रियों ने 2024 की पहली तिमाही में ब्राजील में विदेश मंत्रियों की एक बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की और शेरपाओं को आईबीएसए संस्थागत विकास पर एक प्रस्ताव को अंतिम रूप देन का काम सौंपा।
मंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी), इसके क्योटो प्रोटोकॉल और इसके पेरिस समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
मंत्रियों ने विकसित देशों से अपने दायित्वों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए विकासशील देशों को निरंतर और पर्याप्त वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अन्य सहायता प्रदान करने का आग्रह किया।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
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