आइसलैंड ने काम करने के घंटे घटाए लेकिन उत्पादकता और वेतन को पहले की तरह बहाल रखा

आइसलैंड ने काम करने के घंटे घटाए लेकिन उत्पादकता और वेतन को पहले की तरह बहाल रखा

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  • Publish Date - July 7, 2021 / 01:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

लंदन, सात जुलाई (भाषा) आइसलैंड में सप्ताह में चार दिन कार्य का प्रयोग ‘बहुत ही सफल’ रहा है और अधिकतर कामगार इसका विकल्प उत्पादकता को प्रभावित किए बिना चुन रहे हैं। यह खुलासा देश में हुए एक अध्ययन में हुआ है।

बीबीसी ने ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक ऑटोनॉमी ऐंड आइसलैंड एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबल डेमोक्रेसी को उद्धत करते हुए बताया कि यह अध्ययन वर्ष 2015 से 2019 के बीच आइसलैंड की राष्ट्रीय सरकार और राजधानी रेक्जेविक शहर परिषद द्वारा कराया गया जिसमें 25 हजार कामगारों ने – देश में कार्यरत कुल कामगारों का एक प्रतिशत ने हिस्सा लिया जिन्हें काम के घंटे कम होने के बावजूद पूर्व की भांति वेतन दिया गया। ।

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक काम के घंटे काम करने से अधिकतर कार्यस्थलों पर उत्पादकता बढ़ी या पूर्व के स्तर पर ही बनी रही। इस अध्ययन के आधार पर स्पेन, न्यूजीलैंड सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में ऐसे प्रयोग हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि अधिकतर लोगों ने सप्ताह में 40 घंटे काम करने का विकल्प चुना बजाय कि पूर्व के 35-36 घंटे की। हालांकि, उत्पादकता का प्रबंधन पालियों को पुनर्व्यस्थित, बेवजह के कार्यों को समाप्त कर, अधिक गति से काम करने की प्रक्रिया को अपनाकर, बैठकों की समयावधि कम कर और कुछ मामलों में ई-मेल के जरिये बैठक कर किया जा सकता है।

बीबीसी की खबर के मुताबिक इस समय आइसलैंड के करीब 86 प्रतिशत कामगार उसी वेतन पर कम काम के घंटे के विकल्प चुन रहे हैं या इसका अधिकार प्राप्त कर रहे हैं।

अध्ययन में रेखांकित किया गया कि कामगार कम तनाव, थकान में कमी, स्वास्थ्य में बेहतरी, निजी-पेशेवर जीवन में संतुलन और परिवार के लिए अधिक समय आदि के तौर पर इसका लाभ महसूस कर रहे हैं।

भाषा धीरज उमा

उमा