भारत व ब्रिटेन ने नयी जलवायु वित्त पहल पर सहमति जतायी

भारत व ब्रिटेन ने नयी जलवायु वित्त पहल पर सहमति जतायी

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  • Publish Date - September 2, 2021 / 07:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, दो सितंबर (भाषा) भारत और ब्रिटेन की सरकारों ने बृहस्पतिवार को सार्वजनिक और निजी पूंजी का इस्तेमाल कर भारत में समावेशी, लचीले और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए एक नए सहयोग पर सहमति जतायी ताकि देश के निम्न कार्बन लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

क्लाइमेट फाइनेंस लीडरशिप इनिशिएटिव (सीएफएलआई) इंडिया पहल की घोषणा भारत-ब्रिटेन की 11वीं आर्थिक और वित्तीय वार्ता (ईएफडी) के दौरान की गयी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके ब्रिटिश समकक्ष ऋषि सुनक ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस पहल को सिटी ऑफ़ लंदन कॉरपोरेशन का समर्थन प्राप्त है और इसका नेतृत्व सीएफएलआई द्वारा किया जाएगा।

सुनक ने कहा, ‘भारत के हरित विकास का समर्थन एक साझा प्राथमिकता है। मुझे खुशी हो रही है कि हमने 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पैकेज की घोषणा की है तथा भारत में स्थायी परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नयी सीएफएलआई इंडिया साझेदारी शुरू की है क्योंकि ब्रिटेन सीओपी26 की मेजबानी के लिए तैयारी कर रहा है।’’

निर्मला सीतारमण ने कहा,‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि मंच बड़े पैमाने पर जलवायु और पर्यावरण क्षेत्रों में, विशेष रूप से हरित एवं लचीले बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी जुटाने में सक्षम होगा।’

सीएफएलआई इंडिया का मकसद सार्वजनिक, निजी और बहुपक्षीय पहलों के जरिए भारत में पूंजी जुटाना है ताकि देश को 2015 के पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिल सके। उसमें 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 प्रतिशत तक कम करने का संकल्प शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत और क्लाइमेट फाइनेंस लीडरशिप इनिशिएटिव के अध्यक्ष माइकल ब्लूमबर्ग ने कहा कि सीएफएलआई निवेश के रास्ते में आने वाली बाधाओं को खत्म करने और हरित परियोजनाओं के लिए अधिक पूंजी जुटाने की खातिर बाजार की अनुकूल स्थिति बनाने के लिए काम कर रहा है।

सीएफएलआई इंडिया की सह-अध्यक्षता मैक्वेरी समूह के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेमारा विक्रमनायके और टाटा समूह के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन करेंगे और इसमें प्रमुख निजी क्षेत्र के भारतीय व बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट व वित्तीय संस्थान शामिल हैं।

भाषा अविनाश नरेश

नरेश