(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 24 दिसंबर (भाषा) सिंगापुर में मलेशियाई नागरिकों सहित मौत की सजा पाए कैदियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए विख्यात भारतीय मूल के पूर्व वकील एम. रवि का बुधवार को 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ की खबर के अनुसार, वह 24 दिसंबर की सुबह मृत पाए गए। अखबार ने बताया कि पुलिस अप्राकृतिक मौत के मामले की जांच कर रही है।
रवि का पूरा नाम रवि मदासामी था। उनका जन्म 1969 में हुआ था और वह 25 से अधिक वर्षों तक वकालत के पेशे में रहे।
वह अपने आचरण को लेकर भी कई बार सुर्खियों में रहे। वह एलजीबीटीक्यू समुदाय के समर्थक थे और मृत्युदंड समाप्त करने के पक्षधर थे। 2006 में रवि के ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ से पीड़ित होने का पता चला था।
रवि के वकील के रूप में काम कर चुके यूजीन थुरैसिंघम ने कहा कि वह ‘‘ऐसे व्यक्ति थे जो अपने विश्वास के लिए खड़े होते थे और अदालत में पूरी मजबूती से लड़ते थे।’’
‘एन्साइक्लोपीडिया ऑफ सिंगापुर तमिल्स’ के अनुसार, रवि ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और कार्डिफ यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी और 1996 में बार का हिस्सा बने थे।
उन्होंने 2019 में अपनी कानूनी कंपनी ‘एम रवि लॉ’ की स्थापना की। 2023 में मानवाधिकारों के क्षेत्र में कार्य के लिए उन्हें ‘इंटरनेशनल बार एसोसिएशन’ द्वारा सम्मानित किया गया और ‘‘मानवाधिकारों में असाधारण योगदान देने वाले कानूनी पेशेवर’’ का पुरस्कार दिया गया।
अटॉर्नी-जनरल, अटॉर्नी-जनरल चैंबर्स के अधिकारियों और लॉ सोसाइटी के खिलाफ ‘‘गंभीर और निराधार आरोप’’ लगाने के कारण 2023 में उन्हें पांच वर्षों के लिए वकालत से निलंबित कर दिया गया था।
रवि एक बार राजनीति में भी उतरे थे और 2015 के आम चुनाव में उन्होंने ‘रिफॉर्म पार्टी’ के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
वह एक लेखक भी थे। 2013 में उनकी आत्मकथा ‘‘कम्पोंग ब्वॉय (गांव का लड़का)’’ प्रकाशित हुई थी, जिसे अगले वर्ष सिंगापुर साहित्य पुरस्कार के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
भाषा सुरभि गोला
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