इजराइल: सरकार की न्यायपालिका में बदलाव की योजना के खिलाफ लोगों ने राजमर्गा जाम किया
इजराइल: सरकार की न्यायपालिका में बदलाव की योजना के खिलाफ लोगों ने राजमर्गा जाम किया
यरुशलम, 11 जुलाई (एपी) इजरायल की न्यायपालिका में आमूल-चूल बदलाव की योजना के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों की शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को यरुशलम, हाइफा व तेल अवीव को जोड़ने वाली सड़कों पर यातायात बाधित किया।
सरकार की इस योजना को लेकर देश के लोगों की राय बंटी हुई है।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संसदीय गठबंधन द्वारा उच्चतम न्यायालय की शक्तियों को सीमित करने वाले एक विवादित विधेयक को मंगलवार को प्रारंभिक मंजूरी दिए जाने के बाद प्रदर्शन शुरू हुए।
नेतन्याहू के अतिराष्ट्रवादी और अतिरूढ़िवादी सहयोगियों द्वारा प्रस्तावित कई विधेयकों में से यह एक है। इस विधेयक का देशभर में व्यापक विरोध किया गया और विरोधियों ने इसे देश को तानाशाही की ओर ले जाने वाला बताया।
न्यायपालिका में बदलाव का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं ने पूरे दिन राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। प्रदर्शनकारी इजराइल के मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे उड़ाने बाधित हो सकती हैं।
इजराइली सेना की साइबर इकाई के करीब 300 आरक्षित कर्मियों ने मंगलवार को एक पत्र पर हस्ताक्षर किया है जिसमें उन्होंने अपनी सेवाएं देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सेवाएं नहीं देने की वजह बताते हुए कहा कि सरकार ने दर्शाया है कि वह इजराइली राज्य को नष्ट करने के लिए कृतसंकल्प है।
पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘संवेदनशील साइबर क्षमता जिसका दुरुपयोग करने की संभावना हो उसे अपराधी सरकार को नहीं दिया जाना चाहिए जो लोकतंत्र के आधार को कमतर कर रही है।’’
पुलिस ने यरुशलम को जाने वाली मुख्य सड़क को बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार छोड़ी। अधिकारियों ने मोदीइन शहर को जाने वाली सड़क बाधित कर रहे कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।
प्रदर्शनकारियों ने हाइफा जाने वाली मुख्य सड़क को बाधित कर दिया और विशाल बैनर लगाया जिसपर लिख है ‘‘हम मिलकर जीतेंगे’’ जिसकी वजह से यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हुई।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान लोक व्यवस्था को बाधित करने के मामले में 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इस बीच, देश के राष्ट्रीय मजदूर संघ ‘हिस्टाड्रट’ के प्रमुख अरनोन बार डेविड ने आम हड़ताल करने की धमकी दी है जिससे देश में आर्थिक गतिविधि ठप हो सकती हैं।
नेतन्याहू से ‘अफरा-तफरी के महौल को रोकने की अपील करते हुए बार डेविड ने कहा, ‘‘अगर स्थिति चरम पर पहुंचेगी तो हम हस्तक्षेप करेंगे और अपनी ताकत दिखाएंगे।’’ उनके संगठन ने मार्च में भी इसी मुद्दे पर आम हड़ताल बुलाई थी जिसके बाद नेतन्याहू ने विवादित विधेयक को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया था।
नेतन्याहू के अतिराष्ट्रवादी और अतिरूढ़िवादी सहयोगियों ने इस विधेयक का प्रस्ताव रखा। इस विधेयक का देशभर में व्यापक विरोध किया गया और विरोधियों ने इसे देश को तानाशाही की ओर ले जाने वाला बताया।
संसद में विधेयक के गुण-दोष पर तीन चर्चाओं में से पहली चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। इस विधेयक से निर्वाचित अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसलों की ‘तर्कसंगतता’ की जांच करने की उच्चतम न्यायालय की शक्तियों में कमी आएगी।
उच्चतम न्यायालय ने नेतन्याहू के एक सहयोगी की नियुक्ति को रद्द करने के लिए इस साल की शुरुआत में यह नियम लागू किया था।
आलोचकों का कहना है कि इस नियम को हटाने से सरकार को मनमाने फैसले लेने, अनुचित नियुक्तियां करने या लोगों को नौकरी से निकालने की अनुमति मिल जाएगी तथा भ्रष्टाचार के दरवाजे भी खुल जाएंगे।
इस विधेयक को संसद में 56 के मुकाबले 64 मतों से पारित कर दिया गया। विधेयक के पारित होने के बाद विपक्षी सांसदों ने ‘शर्मनाक’ के नारे लगाए, जबकि नेतन्याहू के गठबंधन के सहयोगियों ने खड़े होकर इसे मंजूरी मिलने का स्वागत किया। दो और चर्चाओं में पारित होने के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा।
एपी धीरज प्रशांत
प्रशांत

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