संयुक्त राष्ट्र, 24 सितंबर (एपी) फ्रांस से लेकर दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका से लेकर सूरीनाम तक, सभी नेताओं ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के युद्ध, गरीबी और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने के आह्वान का पुरजोर समर्थन किया।
हालांकि, इस वैश्विक मंच पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विचार कुछ और ही थे और उन्होंने अपने “अमेरिका प्रथम” एजेंडे का प्रचार किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने महासभा में राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और राजाओं की वार्षिक बैठक की शुरुआत युद्ध के स्थान पर शांति, अराजकता के स्थान पर कानून व्यवस्था, तथा एक ऐसे भविष्य को चुनने की अपील के साथ की, जहां देश स्वार्थ के लिए संघर्ष करने के बजाय एकजुट हों।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चेतावनी दी कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 80 साल बाद, “हम खुद को अलग-थलग कर रहे हैं”।
उन्होंने कहा, “विभाजन बढ़ता जा रहा है और इससे वैश्विक व्यवस्था प्रभावित हो रही है।” मैक्रों ने कहा, “दुनिया विभाजित हो रही है, और यह हमारे समय के प्रमुख संघर्षों को हल करने की हमारी सामूहिक क्षमता को बाधित कर रही है तथा हमें वैश्विक चुनौतियों का सामना करने से रोक रही है।”
उन्होंने कहा कि केवल समकक्षों के बीच सम्मानजनक संबंध और सहयोग ही सैन्य प्रसार के खिलाफ लड़ाई, जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने और “सफल डिजिटल परिवर्तन” को संभव बनाता है।
सूरीनाम की राष्ट्रपति जेनिफर गीर्लिंग्स-साइमन्स ने कहा कि बहुपक्षवाद “मानवता की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। परिवर्तन के इस समय में इसे हमारी सुरक्षा की आवश्यकता है”।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की हमारी सामूहिक सदस्यता हमारी साझा मानवता का परिणाम है” और 80 साल का हो चुका संयुक्त राष्ट्र “एक ऐसा संगठन बनाने के लिए बाध्य करता है जो हमारी आम चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हो”।
जैसा कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने कहा, “समय जितना कठिन होता जा रहा है, हमें संयुक्त राष्ट्र की मूल भावना की ओर उतना ही लौटना होगा।” उन्होंने कहा, “आज हमें और अधिक सहयोग करना होगा, और अधिक विश्वास करना होगा, और अधिक मजबूती से हाथ मिलाना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य और एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सके।”
गुतारेस ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व तेजी से बहुध्रुवीय होता जा रहा है – यह निश्चित रूप से उभरती आर्थिक शक्तियों चीन और भारत के लिए एक संकेत है, लेकिन महाशक्ति का दर्जा पाने की अमेरिका की जिद पर प्रहार है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि कई शक्तियों वाला विश्व अधिक विविधतापूर्ण और गतिशील हो सकता है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रभावी वैश्विक संस्थाओं के बिना “अराजकता” हो सकती है।
ट्रंप ने पिछले वर्ष नवंबर में दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित होने के बाद पहली बार महासभा को संबोधित करते हुए हालांकि कोई कसर नहीं छोड़ी और “अमेरिका प्रथम” पर केंद्रित भाषण दिया।
उन्होंने गर्व से कहा, “अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे मजबूत सीमाएं, सेना, मैत्री और सबसे मजबूत भावनाएं हैं। यह सचमुच अमेरिका का स्वर्णिम युग है।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को अप्रभावी बताया और कहा कि यह अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य करने में भी असमर्थ है। उन्होंने सभा कक्ष के रास्ते में बंद हुए एस्केलेटर और खराब हुए टेलीप्रॉम्प्टर के लिए संगठन को जिम्मेदार ठहराया।
एपी
प्रशांत संतोष
संतोष