नागरिकों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच के अंतर को भर सकते हैं मानचित्र

नागरिकों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच के अंतर को भर सकते हैं मानचित्र

नागरिकों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच के अंतर को भर सकते हैं मानचित्र
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: May 23, 2021 10:59 am IST

( सुखमनी मंतेल, रोड्स यूनिवर्सिटी)

ग्राहम्सटाउन (दक्षिण अफ्रीका), 23 मई (द कन्वर्सेशन) मानचित्रों को कई प्रकारों में ढाला जा सकता है : रंगों से भरे या फीके, जटिल या बहुत सरल, मददगार या पढ़ने-समझने में कठिन। लेकिन इन मानचित्रों में लोगों की पर्यावरणीय एवं सामाजिक मुद्दों की समझ को बढ़ाने में मदद करने के साथ-साथ व्यवहार संबंधी बदलावों और संरक्षण चेतना के लिए मार्ग निकाले का सामर्थ्य होता है।

इस क्षमता को दुनिया के कुछ हिस्सों में पहले से खोजा जा रहा है। उदाहरण के लिए, फिश वेर्क्स ऐप मानचित्रों का इस्तेमाल अमेरिका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र में मछलियों की गतिविध में आने वाले अवरोधकों को उजागर करता है।

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दो साल पहले वायरल हुए दक्षिण अफ्रीकी नदियों के मानचित्र पर जारी काम के आधार पर कहा जा सकता है कि यही क्षमता दक्षिण अफ्रीकी क्षेत्र में संरक्षण के प्रति जागरुकता लाने और कदम उठाने के लिए प्रेरित करने में काम आ सकती है।

दो साल बाद भी लोग सर्वेक्षण के माध्यम से उस मानचित्र से जुड़ रहे हैं।

2019 और 2020 के दौरान एक माह में करीब तीन से 147 बार इसे डाउनलोड किया गया। जल अनुसंधानकर्ता के तौर पर लेखक ने यह समझना चाहा कि मानचित्र में लोगों की दिलचस्पी को किस प्रकार से संरक्षण और दक्षिण अफ्रीका की कई जल समस्याओं का बेहतर जागरुकता के लिए तैयार किया जा सकता है।

इन समस्याओं में जल प्रदूषण भी शामिल है जो नदी के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। माइक्रोप्लास्टिक और पौधों एवं जानवरों तथा आक्रामक विदेशी पौधों एवं जानवरों पर उनका प्रभाव जो पानी की उपलब्धतता और जैव विविधता पर नकारात्क प्रभाव डालते हैं।

मानचित्र को मिली शुरुआती प्रतिक्रियाओं में तीन विषय उभर कर आए। इन विषयों में लोकप्रिय इंटरनेट मीम्स जैसी विशेषताएं थीं। पहला, मानचित्र की सूचनाएं लोगों के लिए वाकई में बहुत उपयोगी थी। दूसरा, इसकी सुंदरता मन को भाने वाली थी। तीसरा, इसने लोगों में दिलचस्पी पैदा की।

मानचित्र के साथ जारी सर्वेक्षण में 2,593 लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर यह समझा जा सकता है कि जनता की दिलचस्पी की गहरी समझ और सार्वजनिक रूप से संचालित विज्ञान- खासतौर पर मानचित्र के प्रयोग एवं विषय सामग्री को लेकर- कैसे नीति निर्माताओं, नागरिकों और वैज्ञानिकों के बीच के अंतर को पाट सकता है।

सर्वेक्षण में, करीब 82 प्रतिशत लोगों ( छह महाद्वीपों के 66 देशों से) ने कहा कि वे मानचित्र को निजी प्रयोग के लिए डाउनलोड कर रहे हैं। इसके बाद 27 प्रतिशत ने कहा कि वे “शैक्षणिक मकसदों” से और आठ प्रतिशत ने पेशेवर प्रयोग के लिए डाउनलोड करने की बात कही।

प्रतिभागियों ने सौंदर्य की दृष्टि से मानचित्र को मन को पसंद आने वाला बताया। वे दक्षिण अफ्रीका के विशाल नदी तंत्र के रंगीन प्रस्तुतीकरण से अचंभित थे। लोगों ने माना कि दृश्यों से उन्हें भौगोलिक संबंधों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है।

वहीं एक और महत्त्वपूर्ण बात है लोगों की समझ-बूझ की मदद से मानचित्रण करना। वैज्ञानिक और जनता के बीच संचार अंतर को खत्म करने से वैज्ञानिक खोजों में लोगों का जुड़ाव ज्यादा होगा क्योंकि वैज्ञानिकों को उनकी दिलचस्पियों को करीब से समझने का मौका मिलेगा।

कुछ प्रतिभागियों ने मानचित्र में अतिरिक्त जानकारी जोड़े जाने का भी सुझाव दिया। जनता की जानकारियों पर ऐसे या अन्य मानचित्र तैयार करना संभव है। डिजिटल प्रौद्योगिकी की ताकत के साथ, थ्री डी प्रभाव वाले मानचित्र भूमि एवं जल के संबंधों को गहराई से समझा सकते हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकी और किस्सागोई के साथ मानचित्रों के सामर्थ्य का इस्तेमाल जनता की पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने और सरकारी एजेंसियों, नागरिकों और वैज्ञानिकों के बीच पुल बनाने के लिए किया जा सकता है।

द कन्वर्सेशन नेहा नरेश

नरेश


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