इजराइल के हमलों में मारे गए ईरानी सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों को लाखों लोगों ने दी अंतिम विदाई

इजराइल के हमलों में मारे गए ईरानी सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों को लाखों लोगों ने दी अंतिम विदाई

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  • Publish Date - June 28, 2025 / 10:31 PM IST,
    Updated On - June 28, 2025 / 10:31 PM IST

दुबई, 28 जून (एपी) इजराइल के साथ 12 दिनों के युद्ध के दौरान मारे गए रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों तथा परमाणु वैज्ञानिकों की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए शनिवार को तेहरान की सड़कों पर लाखों लोग उमड़ पड़े।

रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, इसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख जनरल आमिर अली हाजीजादेह और अन्य के ताबूतों को ट्रकों पर रखकर राजधानी की आजादी स्ट्रीट से ले जाया गया। इस दौरान सड़क किनारे खड़े लोगों ने ‘’अमेरिका मुर्दाबाद’ और ‘इजराइल मुर्दाबाद’ के नारे लगाए।

जनरल सलामी और हाजीजादेह दोनों 13 जून, यानी युद्ध के पहले दिन ही मारे गए थे, जब इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के उद्देश्य से व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया था। इस अभियान में सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।

सरकारी मीडिया ने बताया कि शव यात्रा में 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए, जिसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन तेहरान के मुख्य मार्ग और पूरा 4.5 किलोमीटर लंबा मार्ग लोगों से भरे हुए थे।

शव यात्रा के टेलीविजन प्रसारण में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई नजर नहीं आए। युद्ध शुरू होने से पहले से वह सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे हैं।

ईरानी सरकारी टेलीविजन के अनुसार, इस शव यात्रा में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची, रिवोल्यूशनरी गार्ड की विदेशी शाखा कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल इस्माइल कानी और खामेनेई के सलाहकार जनरल अली शामखानी भी शामिल हुए।

शामखानी इजराइल के पहले हमले में घायल होने पर अस्पताल में भर्ती हुए थे।

सरकारी टेलीविजन के टेलीग्राम चैनल पर प्रसारित एक वीडियो में शामखानी को छड़ी के सहारे चलते देखा गया।

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड का गठन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद हुआ था। अपनी स्थापना के बाद से यह एक अर्द्धसैनिक, घरेलू सुरक्षा बल से एक अंतरराष्ट्रीय बल के रूप में विकसित हुआ है जो सीरिया और लेबनान से लेकर इराक तक, तेहरान के सहयोगियों की सहायता के लिए पहुंचा है।

यह देश की मौजूदा सशस्त्र सेनाओं के समानांतर काम करता है और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के शस्त्रागार को नियंत्रित करता है, जिसका इस्तेमाल उसने गाजा पट्टी में इजराइल-हमास युद्ध के दौरान दो बार इजराइल पर हमला करने के लिए किया था।

मंगलवार को युद्ध विराम की घोषणा से 12 दिन पहले, इजराइल ने दावा किया था कि उसने लगभग 30 ईरानी कमांडरों और 11 परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला, जबकि आठ परमाणु संबंधित प्रतिष्ठानों और 720 से अधिक सैन्य बुनियादी ढांचे के स्थलों को निशाना बनाया।

वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह के अनुसार, कम से कम 417 नागरिकों सहित 1,000 से अधिक लोग मारे गए।

युद्ध विराम के बाद, शनिवार को शीर्ष कमांडरों का यह पहला सार्वजनिक अंतिम संस्कार था और ईरानी सरकारी टेलीविजन ने बताया कि यह कुल 60 लोगों के लिए था, जिनमें चार महिलाएं और चार बच्चे शामिल थे।

भीड़ में शामिल कई लोगों ने रोष व्यक्त किया।

सरकारी मीडिया ने तेहरान के विशाल बहेश्त-ए-ज़हरा कब्रिस्तान की एक खुली कब्र की तस्वीरें प्रकाशित कीं, जहां सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी, जो युद्ध के पहले दिन मारे गए थे, को उनके भाई के बगल में दफनाया जाना था। उनके भाई 1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान मारे गए थे और वह एक कमांडर थे।

अन्य लोगों में से कई को उनके गृहनगर में दफनाया जाना है।

ईरानी न्यायपालिका की मिज़ान समाचार एजेंसी ने पुष्टि की है कि कुख्यात एविन जेल के शीर्ष अभियोजक की सोमवार को इजराली हमले में मौत हो गई।

शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, अरागची ने संकेत दिया कि ईरान बातचीत के लिए तैयार हो सकता है।

उन्होंने लिखा, ‘‘अगर (अमेरिका के) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाकई समझौता करना चाहते हैं, तो उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला खामेनेई के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य लहजे को छोड़ देना चाहिए और उनके लाखों सच्चे अनुयायियों को चोट पहुंचाना बंद कर देना चाहिए।’’

एपी सुभाष पवनेश

पवनेश