गाजा युद्ध पर बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे
गाजा युद्ध पर बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करेंगे
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (एपी) अंतरराष्ट्रीय अलगाव, युद्ध अपराधों के आरोपों और संघर्ष को समाप्त करने के लिए बढ़ते दबाव का सामना कर रहे इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेतन्याहू के वार्षिक भाषण पर हमेशा पैनी नजर रखी जाती है और अक्सर उनका विरोध होता आया है। उनका यह भाषण जोरदार होता रहा है और कभी-कभी नाटकीय आरोप भी देखने को मिलते हैं।
हाल के दिनों में, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य देशों ने फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है।
वहीं, यूरोपीय संघ इजराइल पर शुल्क और प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। इस महीने यूरोपीय संघ की महासभा ने एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित किया जिसमें इजराइल से एक स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र के लिए प्रतिबद्धता जताने का आग्रह किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने नेतन्याहू पर मानवता के विरुद्ध अपराध का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, जिसका (आरोप का) उन्होंने खंडन किया है। संयुक्त राष्ट्र का शीर्ष न्यायालय दक्षिण अफ्रीका के इस आरोप की पड़ताल कर रहा है कि इजराइल ने गाजा में नरसंहार किया है, जिसका वह (इजराइल) खंडन करता है।
इस पृष्ठभूमि में, नेतन्याहू ने बृहस्पतिवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं की वार्षिक बैठक के लिए इजराइल में विमान में सवार होते हुए कहा, ‘‘मैं सच बोलूंगा। मैं उन नेताओं की निंदा करूंगा जो हत्यारों, बलात्कारियों और बच्चों को जलाने वालों की निंदा करने के बजाय, उन्हें इजराइल के बीच में एक क्षेत्र देना चाहते हैं।
नेतन्याहू के इस दृष्टिकोण का विरोध बढ़ रहा है।
इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक विशेष सत्र में, कई देशों ने 2023 में हमास के चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले पर अपनी चिंता व्यक्त की, जिसमें इजराइल में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे, 251 लोग बंधक बनाए गए और जिसके बाद युद्ध छिड़ गया। कई प्रतिनिधियों ने गाजा में तत्काल युद्धविराम और सहायता की मांग की।
नेतन्याहू से पहले बृहस्पतिवार को फलस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने वीडियो के जरिए महासभा को संबोधित किया था, क्योंकि अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान करने की घोषणाओं का स्वागत किया, लेकिन कहा कि देश का दर्जा दिलाने के लिए दुनिया को और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय फलस्तीनी लोगों के साथ सही व्यवहार करे।’’
इजराइल ने 1967 के पश्चिम एशिया युद्ध में वेस्ट बैंक, पूर्वी यरुशलम और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। फिर 2005 में गाजा से वह वापस चला गया। फलस्तीनी चाहते हैं कि ये तीनों क्षेत्र उनके कल्पित राष्ट्र का हिस्सा बनें, जो उस ‘‘द्वि-राष्ट्र समाधान’’ का हिस्सा है जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय दशकों से अपनाता आ रहा है।
नेतन्याहू ने इसका कड़ा विरोध किया है और उनका कहना है कि फलस्तीन राष्ट्र बनाने से हमास को फायदा होगा।
उन्होंने बृहस्पतिवार को हवाई अड्डे पर कहा, ‘‘ऐसा नहीं होगा।’’
एपी सुभाष नरेश
नरेश

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