महिला को दफनाने को लेकर धार्मिक चरमपंथियों ने अहमदिया समुदाय के घरों और दुकानों पर हमला किया
महिला को दफनाने को लेकर धार्मिक चरमपंथियों ने अहमदिया समुदाय के घरों और दुकानों पर हमला किया
लाहौर, 25 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक अहमदी महिला के दफनाने को लेकर एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में धार्मिक चरमपंथियों ने अहमदिया समुदाय के लोगों के घरों और दुकानों पर हमला किया। अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान जमात-ए-अहमदिया (जेएपी) के अनुसार, यह घटना इस सप्ताह लाहौर से लगभग 130 किलोमीटर दूर, सियालकोट जिले के पीरू चक में हुई।
संगठन ने कहा कि अहमदी समुदाय की 55 वर्षीय महिला कुदसिया तबस्सुम का इस सप्ताह निधन हो गया था। जब उन्हें दफनाने के लिए पीरू चक के कब्रिस्तान ले जाया गया, तो मुस्लिम चरमपंथियों का एक समूह वहां पहुंच गया और उन्हें दफनाने से रोक दिया।
इसके मुताबिक, ‘उन्होंने कहा कि अब से उस कब्रिस्तान में किसी भी अहमदी को दफनाया नहीं जाएगा।’
जेएपी ने कहा कि 1947 में विभाजन के बाद, इस कब्रिस्तान की भूमि अहमदिया समुदाय को उनके मृतकों को दफनाने के लिए आवंटित की गई थी।
संगठन ने कहा कि इस कब्रिस्तान में 220 अहमदी कब्रें हैं, जबकि अन्य संप्रदायों के लगभग 100 लोग भी वहां दफन हैं।
इसने कहा कि जब अहमदियों ने महिला को उसी कब्रिस्तान में दफनाने पर जोर दिया, तो कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नेतृत्व में बड़ी संख्या में चरमपंथी एकत्र हुए और अहमदियों के घरों और उनकी दुकानों पर हमला किया, जिसमें कुछ अहमदी घायल हो गए।
दूसरी ओर, पुलिस अधिकारी मोहम्मद अदनान भट्टी ने कहा कि पीरू चक गांव के अहमदियों और स्थानीय मुसलमानों के बीच एक अहमदी महिला को दफनाने को लेकर झड़प हुई।
उन्होंने कहा कि अहमदियों ने भी मुसलमानों के घरों पर हमला किया, जिसके कारण उनमें से कुछ घायल हो गए।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत अहमदिया समुदाय के 30 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जेएपी ने कहा कि पुलिस ने उसके समुदाय के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन इस मुद्दे पर उसके आवेदन को स्वीकार नहीं कर रही है।
इसने कहा कि चरमपंथियों को शांत करने के लिए महिला को बाद में इस कब्रिस्तान से 14 किलोमीटर दूर दफनाया गया।
हालांकि अहमदी खुद को मुसलमान मानते हैं, लेकिन पाकिस्तान की संसद ने 1974 में समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था।
भाषा नोमान माधव
माधव
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