(विनय शुक्ला)
मॉस्को, 10 अक्टूबर (भाषा) रूस और अमेरिका सामूहिक विनाश के हथियारों पर नियंत्रण के लिए द्विपक्षीय वार्ता फिर से शुरू कर सकते हैं। रूस के एक प्रमुख अखबार ने शुक्रवार को एक शीर्ष हथियार नियंत्रण वार्ताकार के हवाले से प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी।
यह खबर ऐसे समय में आई है, जब यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान को लेकर मॉस्को और वाशिंगटन के बीच संबंध शीतयुद्ध काल के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं।
‘इजवेस्तिया’ अखबार ने जिनेवा में रूस के स्थायी प्रतिनिधि गेनादी गैतिलोव के हवाले से कहा, “अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल निरस्त्रीकरण सम्मेलन से जुड़ी तैयारियों को लेकर हाल-फिलहाल में अधिक सक्रिय हो गया है। हमारे देश को लेकर बयानबाजी की भाषा में उल्लेखनीय बदलाव आया है और यूक्रेन संकट के सिलसिले में रूस पर आरोप लगाना बंद हो गया है।”
गैतिलोव ने कहा, “ऐसे में कोई अमेरिका और यूरोप के कट्टर रूस-विरोधियों के रुख में अंतर को नजरअंदाज नहीं सकता। अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सम्मेलन के दौरान बातचीत बहाल करने में दिलचस्पी रखते हैं।”
रूसी राजनयिक ने कहा कि आपसी हित से जुड़े मुद्दों पर छिटपुट चर्चा को छोड़कर अमेरिका के साथ बातचीत बहुत सीमित है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद वाशिंगटन ने ‘रुको और देखो’ का रवैया अपनाया है, जिसके तहत उसने चर्चाओं पर नजर रखने पर ध्यान केंद्रित किया है।
खबर के अनुसार, जैविक हथियारों से संबंधित क्षेत्रों में भी नये सिरे से सहयोग की संभावनाएं हैं।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें वार्षिक सत्र में ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका जैविक हथियारों की निगरानी के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करेगा।
रूस ने अमेरिका के जैविक और विषैले हथियारों के विकास, उत्पादन एवं भंडारण पर प्रतिबंध तथा उनके विनाश (बीटीडब्ल्यूसी) पर संधि के तहत एक सत्यापन तंत्र की आवश्यकता को मान्यता दिए जाने का स्वागत किया है।
हालांकि, हथियार नियंत्रण पर मॉस्को और वाशिंगटन के बीच कई प्रमुख मुद्दे अनसुलझे हैं, खास तौर पर नयी स्टार्ट संधि का भविष्य, जो फरवरी 2026 में समाप्त हो रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रस्ताव दिया है कि दोनों देश संधि के मुख्य प्रावधानों का एक साल और पालन करें, ताकि नये समझौते पर बातचीत के लिए समय मिल सके।
ट्रंप ने पुतिन के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक “अच्छा विचार” बताया था। हालांकि, उन्होंने वाशिंगटन के आधिकारिक रुख के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा था।
भाषा पारुल धीरज
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