वैज्ञानिकों ने चूहों में उम्र संबंधी नेत्रहीनता, मोतियाबिंद से नुकसान को पलटा

वैज्ञानिकों ने चूहों में उम्र संबंधी नेत्रहीनता, मोतियाबिंद से नुकसान को पलटा

वैज्ञानिकों ने चूहों में उम्र संबंधी नेत्रहीनता, मोतियाबिंद से नुकसान को पलटा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:37 pm IST
Published Date: December 3, 2020 3:16 pm IST

बोस्टन, तीन दिसंबर (भाषा) वैज्ञानिकों ने चूहों की आंखों में स्थित जीन के युवावस्था के कार्य को फिर से बहाल कर उनकी दृष्टि वापस लाने में कामयाबी पायी है। यह कदम मनुष्यों में उम्र संबंधी कई बीमारियों के उपचार के लिये जमीन तैयार कर सकता है।

जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित ‘परिकल्पना का साक्ष्य’ शोध चूहों में उम्र के साथ आने वाली दृष्टिहीनता को भी सफलतापूर्वक पलटता है। चूहों को भी काफी कुछ मनुष्यों में होने वाले मोतियाबिंद की तरह ही बीमारी से उम्र बढ़ने पर दिखाई देना बंद हो जाता है। मोतियाबिंद दुनिया भर में दृष्टिहीनता का एक प्रमुख कारण है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक यह अध्ययन उस पहले प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करता है कि आंख की तंत्रिका कोशिकाओं जैसे जटिल उत्तकों को सुरक्षित तरीके से पहले की उम्र तक ले जाना संभव हो सकता है।

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अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डेविड सिंक्लेयर ने कहा, “हमारा अध्ययन यह प्रदर्शित करता है कि रेटिना जैसे जटिल उत्तकों की उम्र को सुरक्षित तरीके से पीछे ले जाना और उनके युवावस्था के जैविक कामकाज को फिर से बहाल करना संभव है।”

शोधकर्ताओं का मानना है कि आगे के अध्ययनों में भी अगर यह परिलक्षित होता है तो यह उम्र को कम करने और इंसानों में उम्र संबंधी बीमारियों के उपचार के नए तरीकों का रास्ता खोल सकता है।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक एडीनो-एसोसिएटेड वायरस (एएवी) को एक वाहक के तौर पर चूहे के रेटिना में तीन युवावस्था बहाल करने वाले जीन – ऑक्ट4, एसओएक्स2 और केएलएफ4- की आपूर्ति के लिये इस्तेमाल किया, जो आम तौर पर भ्रूण के विकास के दौरान सक्रिय होते हैं।

उन्होंने कहा कि ये तीनों जीन, एक चौथे जीन के साथ सामूहिक तौर पर ‘यामानाका’ कारक के तौर पर जाने जाते हैं। चौथे जीन का इस अध्ययन में इस्तेमाल नहीं किया गया था।

भाषा प्रशांत उमा

उमा


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