(जोसेफ मैडौस, निकोलस गेलबार और सैली रीस, कनेक्टिकट विश्वविद्यालय)
कनेक्टीकट (अमेरिका), 14 जनवरी (द कन्वरसेशन) अमेरिका के निजी स्कूलों में हर 100 विद्यार्थियों में से एक ऑटिज्म से पीड़ित है। इन विद्यार्थियों के एक उपसमूह के पास गणित, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानविकी और कला सहित व्यापक क्षेत्रों में शैक्षणिक प्रतिभा और कौशल भी हैं। इन छात्रों को अक्सर ‘दोहरे असाधारण’ कहा जाता है।
इस आबादी के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए हमने तीन समूहों पर शोध किया: ऑटिज्म से पीड़ित दोहरे असाधारण कॉलेज छात्र, उनके अभिभावक और उनके साथ काम करने वाले कॉलेज के कर्मी। सभी विद्यार्थियों ने ‘आइवी लीग संस्थानों’ सहित प्रतिस्पर्धी और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी कॉलेजों में दाखिला लिया था या हाल में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। हुए थे।
ऑटिज़्म से पीड़ित प्रतिभाशाली छात्रों में जबरदस्त क्षमता होती है लेकिन अक्सर उन्हें अपनी प्रतिभा विकसित करने का मौका नहीं मिलता है।
हमने कई रणनीतियों की पहचान की है जो इन छात्रों को कॉलेज में प्रवेश करने और सफल होने में मदद कर सकती हैं।
1. ऑटिज़्म और प्रतिभा दोनों को पहचानें
दोहरे असाधारण विद्यार्थियों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि उनकी प्रतिभा उनकी अक्षमता को छुपा सकती है। इसके विपरीत, उनकी अक्षमताएं उनकी प्रतिभा को छुपा सकती हैं।
एक छात्र ने कहा, ‘‘मेरी मां को बताया गया था कि मैं बहुत होशियार हूं, इसलिए मुझे वास्तव में विश्वास नहीं हुआ कि मैं अक्षम हूं।’’
जब इन विद्यार्थियों की पहचान सिर्फ ऑटिज़्म के पीड़ित के रूप में की जाती है, तो उन्हें विशेष शिक्षा कार्यक्रमों में दाखिला दिया जा सकता है जो छात्रों को अपनी क्षमता विकसित करने और आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय कमियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्हें चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं दिया जाता है। दूसरी ओर, जब ऑटिज़्म से पीड़ित प्रतिभाशाली की पहचान केवल प्रतिभाशाली के रूप में की जाती है, तो उन्हें अपनी अक्षमताओं को समायोजित करने के लिए जरूरी सहायता नहीं मिल पाती है।
हमने अपनी शोध परियोजना के तहत छात्रों ने बताया कि उनकी शैक्षणिक सफलता और आत्मविश्वास दोनों के लिए कमियों की पहचान होना कितना महत्वपूर्ण है।
एक छात्र ने कहा, “मेरे पास एक अद्भुत शिक्षिका थी जिन्होंने मुझे परियोजनाओं में भाग लेने का अवसर दिया। मेरे मार्गदर्शकों में से एक विज्ञान की शिक्षिका थी, और उन्होंने मुझे मौके भी दिए। उन्होंने मुझे काम के लिए बहुत सारे मौके दिये। उन्होंने मुझे विज्ञान को वास्तविक दुनिया और मुझ पर लागू करने दिया। यह शानदार था। उन्होंने मुझे यह विश्वास दिलाया कि मैं आगे बढ़कर अतिरिक्त काम कर सकता हूं।’’
2. चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम में दाखिला लेना
लगभग हर छात्र और अभिभावक ने कहा कि कॉलेज में उपस्थिति कम उम्र से ही अपेक्षित होती है। इस लक्ष्य की तैयारी के लिए, विद्यार्थियों ने उनकी क्षमताओं पर केंद्रित चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया।
मिसाल के तौर पर जिन विद्यार्थियों से हमने बातचीत की, उनमें से तकरीबन तीन-चौथाई ने हाई स्कूल में रहते हुए ‘एडवांस्ड प्लेसमेंट’, ऑनर्स या कॉलेज क्रेडिट-बेयरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश लिया।
3. पाठ्येतर गतिविधियां अपनाईं
करीब-करीब हर छात्र ने कम से कम एक पाठ्येतर गतिविधि में हिस्सा लिया और कुछ ने कई तो गतिविधियों में हिस्सा लिया।
कई विद्यार्थियों ने नेतृत्व भूमिकाएं भी निभाएं। एक अभिभावक ने हमें बताया कि कैसे उनके बेटे ने हाई स्कूल में अपने साथियों को पढ़ाया और उसे एक नेता के रूप में देखा गया। ‘वह वहां एक आदर्श था।’
छात्रों और अभिभावकों दोनों ने रुचि के क्षेत्रों को आगे बढ़ाने, नेतृत्व अनुभव हासिल करने और समान रुचि वाले साथियों को खोजने के तरीकों के रूप में इन गतिविधियों के महत्व पर चर्चा की।
हाई स्कूल में रहते हुए लगभग आधे छात्रों ने आवासीय शिविर या अनुभव कार्यक्रमों में भाग लिया। एक छात्र ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों ने ‘‘वास्तव में मदद की, क्योंकि इससे दूसरों के साथ संवाद करने की मेरी क्षमता में सुधार हुआ और मुझे यह समझने में मदद मिली कि मुझे दूसरों को जो समझाना है, उसे कैसे समझाऊं।’’
4. स्कूल चुनते समय कारकों से अवगत रहें
छात्रों ने बताया कि वे अपने स्कूल के चयन में सक्रिय भागीदार थे। किसी कार्यक्रम या रुचि के विषय वाला स्कूल ढूंढना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता रही। एक अभिभावक ने हमें बताया कि परिवार ने ऐसे स्कूलों की तलाश की जहां वे दो घंटे के अंदर पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि और ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर कोई परेशानी हो तो मैं चाहता था कि वह ऐसे क्षेत्र में रहे जहां मैं गाड़ी चलाकर पहुंच सकूं और उसे शांत कर सकूं।
5. कानूनों और समर्थन में अंतर को समझें
अक्षमता सहायता के संबंध में हाई स्कूल और कॉलेज स्तर पर विभिन्न कानून मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, कॉलेज में विशेष शिक्षा सेवाएं प्रदान नहीं की जाएंगी।
6.सहायक पेशेवर की तलाश
अभिभावकों और छात्रों ने हमें बताया कि एक सलाहकार, परामर्शदाता, शिक्षक या संकाय सदस्य – का होना आवश्यक है। ऐसे पेशेवर छात्रों की प्रतिभा को पहचान सकते हैं, उनकी रुचियों में मदद कर सकते हैं और उनके विकास के अवसरों को बढ़ावा दे सकते हैं।
7. पहल करने के लिए विद्यार्थियों को सीख दें
हाई स्कूल में छात्रों को यह सिखाना अहम है कि वे अपनी मदद कैसे करें। जिन छात्रों से हमने बात की, उन्होंने सीखा कि आहार, व्यायाम, ध्यान, संगीत के माध्यम से अपने भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखा जाए या फिर अकेले वक्त निकाल कर तनाव से कैसे निपटा जाए। वे विभिन्न क्लबों और पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल थे। उन्होंने इन अनुभवों का उपयोग समान रुचियों वाले मित्र बनाने के लिए किया।
द कन्वरसेशन नोमान धीरज
धीरज