विशेष रिपोर्ट : कोविड के अलावा अन्य रोगों के टीके
विशेष रिपोर्ट : कोविड के अलावा अन्य रोगों के टीके
मेलबर्न, 22 अप्रैल (360इन्फो) विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीकाकरण सप्ताह के लिए हम यह पता लगाते हैं कि टीकों पर अगली बड़ी छलांग क्या हो सकती है।
टीकाकारण महज कोविड-19 से जुड़ा मसला नहीं है बल्कि यह एक सामूहिक आंदोलन है जो कई बीमारियों के खिलाफ वैश्विक आबादी को मजबूत करने में मदद करता है। लेकिन सावधानीपूर्वक और सुरक्षित तरीके से ऐसा करना आवश्यक है।
जानलेवा बीमारियों जैसे कि मलेरिया और एचआईवी के खिलाफ सुरक्षा के लिए टीकाकारण की आवश्यकता गंभीर है लेकिन कोई भी उपलब्धि रातोंरात हासिल नहीं होती।
नीतिगत परिवर्तनों में क्या बहुत तेजी से हो सकता है जिससे टीकों के विकास और उस तक पहुंच का रास्ता आसान हो सकता है।
भारत जैसे देशों में सरकारों ने टीकों के निर्माण और विकास में निवेश की ताकत दिखायी है जबकि मुनाफा कमाने वाले अन्य पक्ष टीकाकरण तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए अन्य वैश्विक पहल कर रहे हैं।
वास्तविकता की जांच :
दुनिया में जिस पहले टीके को सफलतापूर्वक विकसित किया गया था वह चेचक का टीका था, जिसकी खोज ब्रिटिश चिकित्सक और वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने 1796 में की थी।
टीकों से हर साल अनुमानित रूप से 20-30 लाख बच्चे जानलेवा रोगों से बचते हैं। हालांकि, हर साल पांच साल तक की आयु के तकरीबन 15 लाख बच्चे ऐसे रोगों से अपनी जान गंवा देते हैं जिनसे टीकों द्वारा सुरक्षा मिल सकती थी।
इंडोनेशिया में एअरलान्गा विश्वविद्यालय की चित्रावति दया केनकोनो वुंगु ने कहा, ‘‘भविष्य में एमआरएनए टीके की तकनीक को अन्य संक्रामक रोगों जैसे कि इन्फ्लुएंजा, डेंगू, जीका और चिकुनगुनिया बुखार के लिए विकसित किए जाने की क्षमता है।’’
360इन्फोडॉटओरजी गोला गोला नरेश
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