चीन के शिक्षित वर्ग के लिए सरकारी प्रचार से अधिक महत्पपूर्ण है तकनीकी-राष्ट्रवाद

चीन के शिक्षित वर्ग के लिए सरकारी प्रचार से अधिक महत्पपूर्ण है तकनीकी-राष्ट्रवाद

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  • Publish Date - May 11, 2022 / 01:38 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

(जुन झांग, हांगकांग सिटी यूनिवर्सिटी)

हांगकांग, 11 मई (360 इंफो) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई दशकों तक पीछे रहने के बाद चीन आज विश्व स्तर पर नवाचार में प्रतिस्पर्धा कर रहा है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि आज चीनी राष्ट्रवाद कैसा नजर आता है।

चीन को वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बनाने की सरकार की योजना शहरी चीन के बहुत से शिक्षित पेशेवरों के लिए महज कोई सरकारी प्रचार नहीं है।

देश के नेताओं और समाज के संभ्रांत वर्ग के लोगों का काफी समय से मानना रहा है कि 19 शताब्दी के मध्य में प्रथम ‘अफीम युद्ध’ में पराजित होने के बाद से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में पिछड़ने के कारण चीन पश्चिमी देशों से आगे नहीं जा सका।

तकनीकी और वैज्ञानिक विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक वृद्धि से जोड़ दिया गया ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके, निर्यात पर बल दिया जा सके और वैश्विक मूल्य श्रृंखला पर निवेश किया जा सके और चीन को ‘दुनिया के कारखाने’ के स्तर से और आगे ले जाया जा सके।

औपचारिक शिक्षा और आधिकारिक मीडिया के जरिये चीनी लोगों को यह सब कई दशकों तक बताया जाता रहा, लेकिन इसमें और भी कई बातें हैं। यह कथानक लोगों को उनके दैनिक जीवन में आर्थिक तथा तकनीकी चीजों का अर्थ समझने में मदद करता है।

राष्ट्रवाद एक भावनात्मक जुड़ाव है जो कुछ नागरिक अपने देश के प्रति रखते हैं। चीन में बहुत से शिक्षित पेशेवरों में एक विशेष तकनीकी-राष्ट्रवादी भावना है। इंजीनियरों से लेकर तकनीशियनों और अकाउंटेंट तक शिक्षित पेशेवर, सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से, छोटी कार्यशालाओं और कारखानों के लिए काम करते रहे हैं जिन्होंने 1970 के दशक से देश की आर्थिक प्रगति को गति प्रदान की है।

इन पेशेवरों की नजर में चीन को ‘दुनिया का कारखाना’ कहा जाना मीडिया द्वारा गढ़ा गया मात्र कोई जुमला नहीं बल्कि उनके दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाली चीज है।

(360इंफो)

यश सिम्मी

सिम्मी