ट्यूनीशिया जनमत संग्रह : उम्मीद के साथ चिंता भी बढ़ी |

ट्यूनीशिया जनमत संग्रह : उम्मीद के साथ चिंता भी बढ़ी

ट्यूनीशिया जनमत संग्रह : उम्मीद के साथ चिंता भी बढ़ी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : July 29, 2022/3:47 pm IST

ट्यूनिस, 29 जुलाई (एपी) ट्यूनीशिया के लोगों ने भारी बहुमत से नए संविधान को मंजूरी दे दी है जिसमें देश के राष्ट्रपति को और शक्तियां प्रदान की गई हैं।

इस जनमत संग्रह से उत्तरी अफ्रीका के इस देश के कई लोगों में राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद जगी है, लेकिन आलोचकों ने चेतावनी दी है कि इससे ट्यूनीशिया में दोबारा अधिनायकवाद की वापसी हो सकती है।

सोमवार को हुए जनमत संग्रह के बाद एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने इस सप्ताह कुछ लोगों का साक्षात्कार लिया। कई लोगों ने राष्ट्रपति कइस सईद का समर्थन किया। वहीं, कुछ ने इस बदलाव के प्रति आशंका जताई और उनका मानना था कि इससे भविष्य में लोकतंत्र के मायने बदल जाएंगे।

गौरतलब है कि नए संविधान में राष्ट्रपति को लगभग सभी कार्यकारी शक्तियां प्रदान की गई हैं जबकि विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियां इससे एक तरह से कमजोर हुई हैं।

पेशे से ‘प्लंबर’ अदिल (51) ने कहा कि वह सईद का समर्थन करते हैं, लेकिन सोमवार के जनमत संग्रह में शामिल नहीं हुए, क्योंकि प्रस्तावित बदलाव कार्यपालिका को कहीं अधिक शक्तियां प्रदान करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह संविधान लंबे समय के लिए नहीं बनाया गया है। जो सईद के बाद आएंगे वे जैसा चाहेंगे वैसा बदलाव बिना किसी जवाबदेही के कर सकेंगे।’’

गौरतलब है कि वर्ष 2011 में अरब क्रांति के तहत ट्यूनीशिया में भी प्रदर्शन हुए थे और शक्तिशाली राष्ट्रपति जीन अल अबिदीन बेन अली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, ट्यूनीशिया एकमात्र देश है जहां अरब क्रांति के बाद लोकतांत्रिक सरकार बनी।

वर्ष 2019 में हुए चुनाव में सईद करीब 70 प्रतिशत मतों से राष्ट्रपति चुने गए। वह अब भी लोक्रपिय हैं और हाल के चुनाव में उन्हें करीब 50 प्रतिशत मत मिले।

सईद द्वारा ट्यूनीशिया की संसद को भंग करने और अपनी सरकार को बर्खास्त करने के करीब एक साल बाद सोमवार को जनमत संग्रह कराया गया। विपक्ष ने इस कदम को ‘‘तख्तापलट’’ करार दिया, लेकिन कई ट्यूनीशियाई लोगों ने राष्ट्रपति के कदम का खराब अर्थव्यस्था की वजह से समर्थन किया।

इसी प्रकार कई नागरिकों का मानना है कि नए संविधान से वर्षों से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध की समाप्ति होगी।

जनमत संग्रह के दौरान नए संविधान के पक्ष में मतदान करने वाली 49 वर्षीय सइदा मसूदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इससे आर्थिक सुधारों का रास्ता साफ होगा और जीवनयापन सस्ता होगा।

हालांकि, एमनेस्टी इंटरनेशनल की क्षेत्रीय निदेशक हेबा मोरायेफ ने नए संविधान को अंगीकार किए जाने को बहुत ‘‘चिंताजनक’’ करार दिया।

एपी धीरज अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)