बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के शीर्ष राजनयिकों की पहली बैठक में हुई तीखी नोंकझोंक

बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के शीर्ष राजनयिकों की पहली बैठक में हुई तीखी नोंकझोंक

बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के शीर्ष राजनयिकों की पहली बैठक में हुई तीखी नोंकझोंक
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: March 19, 2021 1:56 pm IST

(ललित के. झा)

वाशिंगटन, 19 मार्च (भाषा) अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन के शीर्ष राजनयिकों से दूो-टूक कह दिया है कि वैश्विक स्थिरता को बनाये रखनी वाली नियम आधारित व्यवस्था को बीजिंग के कदमों ने खतरा पैदा कर दिया है।

बाइडन प्रशासन के कामकाज संभालने के बाद दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों के बीच हुई पहली उच्च स्तरीय बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच सार्वजनिक रूप से तीखी नोंकझोंक हुई।

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वार्ता में अमेरिकी विदेश मंत्री के अलावा अमेरिका की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन भी शामिल हुए। वहीं, चीन के शीर्ष विदेश नीति अधिकारी यांग जियेची और विदेश मंत्री वांग यी चीनी पक्ष की ओर से आमने-सामने की बैठक में उपस्थित थे।

अलास्का के एंकरेज में चल रही अमेरिका-चीन वार्ता में ब्लिंकन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए मुद्दे न केवल दोनों देशों के लिए प्रासंगिक है, बल्कि समूचे क्षेत्र के देशों और निश्चित तौर पर दुनिया के अन्य देशों के लिए भी प्रासंगिक हैं।

ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाने और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए कूटनीति के साथ नेतृत्व करने के प्रति कटिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि यह बैठक घरेलू और वैश्विक दोनों प्राथमिकताओं पर चर्चा का अवसर है ताकि चीन बाइडन प्रशासन की मंशाओं और रुख को बेहतर तरीके से समझ सकें।

अमेरिका और चीन के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक सैन्य कदमों और हांगकांग तथा शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों समेत कई मुद्दों पर टकराव चल रहा है।

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम शिनजियांग, हांगकांग, ताइवान में चीन की कार्रवाई, अमेरिका पर साइबर हमले और हमारे सहयोगियों को आर्थिक रूप से मजबूर करने पर भी चर्चा करेंगे।’’

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘इन कदमों से नियमों पर आधारित व्यवस्था को खतरा पहुंचता है जो वैश्विक स्थिरता बरकरार रखती है। इसलिए यह महज आंतरिक मसले नहीं हैं और इसी वजह से हम आज इन मुद्दों को यहां उठाना जिम्मेदारी समझते हैं।’’

गौरतलब है कि चार देशों के क्वाड समूह की बैठक में पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने कहा था कि वे एक स्वतंत्र, खुली और नियम आधाारित व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय कानून में हो। उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और इससे बाहर भी सुरक्षा एवं समृद्धि को बढ़ाना है।

अलास्का में बैठक के दौरान ब्लिंकन की टिप्पणी पर यांग ने पलटवार करते हुए कहा कि चीन कुछ देशों द्वारा पैरवी की गई तथाकथित ‘‘नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था’’ को नहीं मानता।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिसका पालन करता है वह संयुक्त राष्ट्र केंद्रित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था है, न कि कुछ देशों की तथाकथित ‘‘नियम आधारित’’ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था।’’

यांग ने कहा कि चीन का मानना है कि अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह पहले अपनी छवि बदले और बाकी दुनिया में अपने लोकतंत्र को लागू करने से रोके।

यांग ने कहा कि अमेरिका की अपनी शैली का लोकतंत्र है और चीन में चीनी शैली का लोकतंत्र है।

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका में कई लोगों का असल में अपने देश के लोकतंत्र पर ज्यादा भरोसा नहीं है और उनके अमेरिकी सरकार को लेकर विभिन्न विचार हैं। वहीं, चीन में नेताओं को चीनी लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त है।’’

यांग ने कहा कि चीन अपने देश के आंतरिक मामलों में अमेरिका के हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करता है।

इस पर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि वाशिंगटन, चीन के साथ टकराव नहीं चाहता लेकिन ‘‘हम अपने लोगों तथा अपने मित्रों के सिद्धांतों के लिए हमेशा खड़े होंगे।’’

वहीं, वांग ने कहा कि चीन ने ना तो अतीत में अमेरिका के अवांछित आरोपों को स्वीकार किया है और ना ही भविष्य में स्वीकार करेगा।

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यांग की शुरूआती टिप्पणी दो मिनट के निर्धारित समय से अधिक समय तक चली।

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि अलास्का में अमेरिकी अधिकारियों ने चीनी के विदेश एवं घरेलू नीतियों पर बेबुनियाद हमले कर चीनी अधिकारियों को गंभीरता से जवाब देने के लिए उकसाया।

भाषा

सुभाष पवनेश

पवनेश


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