परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले से अमेरिका के साथ वार्ता ‘जटिल’ हो गई है : अराघची

परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले से अमेरिका के साथ वार्ता 'जटिल' हो गई है : अराघची

परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले से अमेरिका के साथ वार्ता ‘जटिल’ हो गई है : अराघची
Modified Date: June 27, 2025 / 04:01 pm IST
Published Date: June 27, 2025 4:01 pm IST

दुबई, 27 जून (एपी) ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अपने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले से गंभीर क्षति की बात स्वीकार करते हुए कहा है कि इसकी वजह से उनके देश के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ नयी वार्ता की संभावना ‘जटिल’ हो गई है।

अमेरिका 2015 के उस परमाणु समझौते में शामिल पक्षों में से एक था, जिसमें ईरान ने प्रतिबंधों में राहत और अन्य लाभों के बदले अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का दायरा सीमित रखने पर सहमति जताई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान एकतरफा रूप से अमेरिका के इस समझौते से बाहर निकल जाने के बाद यह समझौता विफल हो गया था। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह ईरान के साथ नए सिरे से वार्ता में रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अगले सप्ताह मिलेंगे।

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ईरान के सरकारी टेलीविजन पर बृहस्पतिवार को प्रसारित एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस संभावना को खुला छोड़ दिया कि उनका देश अपने परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर फिर से वार्ता में शामिल होगा, हालांकि उन्होंने इस बात के संकेत दिये कि यह वार्ता जल्दी नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘वार्ता फिर से शुरू करने के लिए कोई सहमति नहीं की गई है।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है, कोई वादा नहीं किया गया है, और हमने वार्ता को फिर से शुरू करने के बारे में भी बात नहीं की है।’’

अराघची ने कहा कि सैन्य हस्तक्षेप करने के अमेरिकी निर्णय ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता को “और अधिक जटिल और कठिन बना दिया है”।

इजराइल ने 13 जून को ईरान पर हमला किया था और उसके परमाणु स्थलों, रक्षा प्रणालियों, उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों को लगातार हमलों में निशाना बनाया।

इजराइल ने कहा कि 12 दिनों तक हमलों में उसने लगभग 30 ईरानी कमांडरों को मार दिया और आठ परमाणु संबंधित केंद्रों तथा 720 से अधिक सैन्य बुनियादी ढांचों के स्थलों को निशाना बनाया।

वाशिंगटन स्थित ‘ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स’ समूह के अनुसार, कम से कम 417 नागरिकों सहित 1,000 से अधिक लोग मारे गए।

ईरान ने इजराइल पर 550 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल दागीं, जिनमें से अधिकांश को रोक दिया गया, लेकिन जो मिसाइल अंदर घुस गईं, उन्होंने कई क्षेत्रों में नुकसान पहुंचाया और 28 लोगों की जान ले ली।

अमेरिका ने रविवार को ईरान में तीन बड़े हमलों को अंजाम देने के लिए बी-2 बमवर्षकों द्वारा क्रूज मिसाइलों और बंकर-बस्टर बमों की बौछार की। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने सोमवार को कतर में एक अमेरिकी बेस पर मिसाइल दागीं, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।

ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ‘पूरी तरह से नष्ट कर दिया’, हालांकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बृहस्पतिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति पर नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमलों से ‘‘कुछ खास हासिल नहीं हुआ।’’

ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ईरान ने हमलों से पहले अपने यूरेनियम का बड़ा हिस्सा स्थानांतरित कर दिया था।

अराघची ने खुद स्वीकार किया कि ‘नुकसान का स्तर बहुत ज्यादा है, और यह गंभीर क्षति है।’

उन्होंने कहा कि ईरान ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि नुकसान का आकलन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के निरीक्षकों को अंदर आने दिया जाए या नहीं, हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें ‘फिलहाल’ बाहर रखा जाएगा।

भाषा सुरेश वैभव

वैभव


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