इजराइली सेना के वापस जाने के बाद दक्षिणी लेबनान के ग्रामीण घर लौटने की तैयारी में

इजराइली सेना के वापस जाने के बाद दक्षिणी लेबनान के ग्रामीण घर लौटने की तैयारी में

इजराइली सेना के वापस जाने के बाद दक्षिणी लेबनान के ग्रामीण घर लौटने की तैयारी में
Modified Date: February 18, 2025 / 04:27 pm IST
Published Date: February 18, 2025 4:27 pm IST

डियर मीमास (लेबनान), 18 फरवरी (एपी) इजराइली सेनाएं मंगलवार को दक्षिणी लेबनान के सीमावर्ती गांवों से वापस लौट गईं।

यह वापसी अमेरिका की मध्यस्थता में हुए युद्ध विराम समझौते में तय समय सीमा के अंतर्गत हुई, जिसके साथ ही इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच नवीनतम युद्ध समाप्त हो गया।

लेबनानी सैनिक उन इलाकों में पहुंच गए हैं जहां से इजरायली सैनिक वापस चले गए थे और उन्होंने इजराइली सेना द्वारा लगाए गए अवरोधों को हटाना शुरू कर दिया है। साथ ही वे बिना विस्फोटकों की जांच कर रहे हैं।

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उन्होंने गांवों की ओर जाने वाली मुख्य सड़क को बंद कर दिया ताकि किसी को भी अंदर जाने से रोका जा सके। ऐसा सेना द्वारा वहां मौजूद विस्फोटकों की तलाश कर उन्हें नष्ट करने के मद्देनजर किया गया है।

गांव के अधिकांश लोग अपने घरों की जांच करने के लिए सड़क के किनारे अनुमति का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कुछ लोग सड़क के अवरोधकों को हटाकर अंदर चले गए।

हालांकि, इजरायली सैनिक लेबनान के अंदर पांच रणनीतिक निगरानी बिंदुओं पर बने हुए हैं। यह लेबनानी अधिकारियों और उग्रवादी गुट हिजबुल्लाह समूह के लिए एक गंभीर मुद्दा है, जिन्होंने कहा है कि इजरायल को मंगलवार तक पूरी तरह से वापस लौटना होगा।

इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने कहा कि इजराइली सेना हिजबुल्लाह द्वारा किसी भी संघर्ष विराम उल्लंघन पर नजर रखने के लिए ‘लेबनान में पांच नियंत्रण चौकियों के बफर जोन में रहेगी’।

अक्टूबर 2023 के बाद पहली बार, मंगलवार की सुबह सैकड़ों ग्रामीण लेबनान के गांवों डियर मीमास और कफर किला के पास एकत्र हुए थे।

अतेफ अरबी अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ सूर्योदय से पहले से इंतजार कर रहे थे और वह कफर किला में अपने घर में बची हुई चीजों को देखने के लिए उत्सुक थे।

कार मैकेनिक (36) ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि मैं वापस जा रहा हूं, भले ही मेरा घर नष्ट हो गया हो।’

उन्होंने कहा, ‘अगर मेरा घर नष्ट हो गया तो मैं इसे फिर से बनाऊंगा।’

संघर्ष के चरम पर लेबनान में 4,000 से अधिक लोग मारे गए और 10 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए। उनमें से लगभग 100,000 लोग अपने घर वापस नहीं लौट पाए हैं।

भाषा

शुभम नरेश

नरेश


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