Sexuality के बारे में बच्चों को किस उम्र में क्या और कैसे जानकारी दें ? यहां जानिए 

Sexuality के बारे में बच्चों को किस उम्र में क्या और कैसे जानकारी दें ? यहां जानिए 

Sexuality के बारे में बच्चों को किस उम्र में क्या और कैसे जानकारी दें ? यहां जानिए 
Modified Date: November 29, 2022 / 12:18 am IST
Published Date: May 13, 2021 12:02 pm IST

Sexuality: गार्जियन्स को बच्चों से सेक्सुअलटी और री-प्रोडक्शन के बारे में बात करते समय आपको यह श्योर होना चाहिए कि आप जो कह रही हैं वो आपके बच्चों को समझ आ रहा है, बच्चे अलग-अलग उम्र की स्टेज पर क्या समझ सकते हैं? यह एक बड़ा सवाल है।

सबसे पहले अपने बच्चों से सेक्सुअलटी के बारे में बात करते समय, सुनिश्चित करें कि आप चीजों को इस तरह से समझाएं जो उनके विकास के लिए उपयुक्त हों, आपको एक बार में सब कुछ समझाने की ज़रूरत नहीं है, यंग बच्चे सेक्सुलअटी संबंधित जानकारी के बजाय गर्भावस्था और शिशुओं में अधिक रुचि रखते हैं। 

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सेक्सुअलटी के बारे में बातचीत शुरू करना और जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है उससे उस बातचीत को जारी रखना, अच्छी सेक्स एजुकेशन रणनीति है। यह जब बच्चा किशोरावस्था में पहुंचता है तब पैरेंट्स को बिग टॉक देने से बचा सकता है, जब आप अपने बच्चों से सेक्स एजुकेशन को लेकर बात कर रहे हैं, तो चीजों को इस तरह से समझाना जरूरी है, जिसे आपका बच्चा उसकी उम्र और विकास के लेवल के मुताबिक समझ सके। 

चूंकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए यहां हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों को अलग-अलग स्टेज पर कैसे सेक्सुअलटी और रीप्रोडेक्शन के बारे में बताना चाहिए। 

1.टॉडलर्स 13-14 महीने 

टॉडलर्स को प्राइवेट पार्ट्स सहित शरीर के सभी पार्ट्स का नाम बताया जाना चाहिए, बॉडी पार्ट्स के लिए सही नामों का इस्तेमाल किए जाने से वे किसी भी हेल्थ इश्यू, चोटों या सेक्सुअल एब्यूज को को बेहतर ढंग से बता पाएंगे। इससे उन्हें यह समझने में भी मदद मिलती है कि ये अंग किसी भी अन्य की तरह सामान्य हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास और पॉजिटिव बॉडी इमेज डेवलेप होती है। 

ज्यादातर दो साल के बच्चे पुरुष और महिला के बीच के अंतर को जानते हैं, और आमतौर पर यह पता लगा सकते हैं कि कोई व्यक्ति पुरुष है या महिला है। उन्हें इस बात की सामान्य समझ होनी चाहिए कि किसी व्यक्ति के जेंडर की पहचान उनके प्राइवेट पार्ट्स से निर्धारित नहीं होती है और यह जेंडर आइडेंटेटी अलग-अलग तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है, इस उम्र के बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में बताया जा सकता है। 

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प्री स्कूल- 5 से आठ साल की उम्र के बच्चे

इस उम्र के बच्चो को आसानी से कोई भी बात समझाई जा सकती है, इस उम्र के बच्चे कई सवाल पूछते हैं आपको उनके हर सवाल का जवाब समझदारी से देना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को एक बुनियादी समझ होनी चाहिए कि कुछ लोग हेट्रोसेक्सुअल, होमोसेक्सुअल या बायसेक्सुअल होते हैं, और यह है कि जेंडर एक्सप्रेशन की एक रेंज होती है। जेंडर किसी व्यक्ति के जननांगों द्वारा निर्धारित नहीं होता है, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि रिश्तों में सेक्सुअलटी की भूमिका क्या है। 

बच्चों को सिखाएं कि कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस का सुरक्षित उपयोग कैसे करें, इस उम्र के बच्चों को डिजिटल संदर्भ में प्राइवेसी, न्यूडिटी और दूसरों के प्रति सम्मान के बारे में सीखना शुरू कर देना चाहिए, उन्हें अजनबियों से बात करने और ऑनलाइन तस्वीरें साझा करने के नियमों के बारे में पता होना चाहिए और पता होना चाहिए कि अगर उन्हें कुछ ऐसा मिलता है जो उन्हें असहज करता है तो उन्हें क्या करना चाहिए। 

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प्री-टीन्स- 9 से 12 वर्ष

प्री-टीन्स को सेफ सेक्स और कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में समझाया जाना चाहिए, उन्हें गर्भावस्था और यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए, उन्हें पता होना चाहिए कि किशोर होने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सेक्सुअल एक्टिव होना है। प्री-टीन्स को यह समझ होनी चाहिए कि एक पॉजिटिव रिलेशनशिप क्या होता है और ये कब बुरा हो सकता है। प्री-टीन्स को बुलिंग और सेक्सटिंग सहित इंटरनेट सेफ्टी की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अपनी और अपने किसी दोस्त की न्यूज  तस्वीरें साझा करने का रिस्क न लें। 

टीनएजर्स- 13 से 18 वर्ष

इस उम्र की किशोरियों को मासिक धर्म और nocturnal emissions के बारे में ज्यादा डिटेल में जानकारी दी जानी चाहिए,  उन्हें ये बताया जाना चाहिए कि वे नॉर्मल और हेल्दी हैं। उन्हें गर्भावस्था और एसटीआई के बारे में और विभिन्न गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में और उन्हें सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करने के लिए कैसे उपयोग करना चाहिए, इसके बारे में अधिक जानकारी होनी चाहिए। 

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गौरतलब है कि बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना कोई गलत बात नहीं है, आप अपने हिसाब से अपने बच्चों से इस बारे में बात कर सकते हैं, ध्यान रहे कि बच्चों को सही समय पर सेक्स एजुकेशन देने से उन्हें गलत राह पर जाने या कुछ गलत करने से बचाया जा सकता है। 

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com