छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन..नई टेंशन! कर्मचारियों के बीच ओपीएस को लेकर संदेह और उलझन क्यों? सुनें पूरा डिबेट

Old pension in Chhattisgarh: ओल्ड पेंशन स्कीम का एक पहलू ये भी है कि जिन 96 फीसदी कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प चुना है, उनमें से हजारों ऐसे हैं, जिन्हें ओपीएस को लेकर संदेह और उलझन हैं। जाहिर है, ये मुद्दा भी आगे चलकर सरकार के सामने चुनौती खड़ा करेगा।

छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन..नई टेंशन! कर्मचारियों के बीच ओपीएस को लेकर संदेह और उलझन क्यों? सुनें पूरा डिबेट

old pension in chhattisgarh latest update

Modified Date: March 16, 2023 / 11:52 pm IST
Published Date: March 16, 2023 11:52 pm IST

old pension in chhattisgarh latest update: रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई और पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं। पिछले साल बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की थी.. तब इसे मास्टर स्ट्रोक बताया गया और लगा कि प्रदेश के 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को साध लिया गया… लेकिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के एक सवाल ने इस विवाद को फिर से जिंदा कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में पेंशन ने एक बार फिर टेंशन बढ़ा दी है। विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने के बाद 10 फरवरी 2023 तक केवल 857 कर्मचारी ने इस विकल्प को चुना है। वहीं 3,09,197 कर्मचारी-अधिकारियों ने अब तक कोई विकल्प नहीं दिया है। इस जानकारी के सामने आने के बाद बीजेपी ने OPS को लेकर फिर सवाल उठाए हैं।

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दरअसल, विवाद आंकड़ों को लेकर शुरू हुआ.. सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि जब ओल्ड पेंशन स्कीम मास्टर स्ट्रोक था तो फिर कर्मचारी इसे अपनाने में हिचक क्यों रहे हैं.. इसका जवाब भी आंकड़े में ही बताते हैं… सीएम की ओर से दी गई जानकारी 10 फरवरी 2023 तक की थी. लेकिन 6 मार्च 2023 की स्थिति में 2 लाख 90 हजार 229 यानी 96 फीसदी कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन का विकल्प चुन लिया है। सिर्फ 1 प्रतिशत यानी, 2, 265 कर्मचारियों ने एनपीएस का विकल्प चुना है। जबकि, करीब 9 हजार कर्मचारियों ने अभी तक कोई विकल्प नहीं चुना है। यही बात कर्मचारियों की बातों से भी झलकती है।

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हालांकि, 3 लाख कर्मचारियों में से करीब आधे कर्मचारी, जो स्कूलों के शिक्षक हैं, वो अब भी नए और पुराने पेंशन में झूल रहे हैं, क्योंकि उनकी नियुक्ति 1998 से शुरू होती है, लेकिन ओपीएस का लाभ 2018 यानी संविलियन वर्ष से मिलने वाला है. इस नियम के चलते 8 हजार से ज्यादा शिक्षक तो सीधे सीधे ओल्ड पेंशन स्कीम से बाहर हो गए हैं. जो योग्य भी हैं, उनके लिए कई तरह के संशय हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम का एक पहलू ये भी है कि जिन 96 फीसदी कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प चुना है, उनमें से हजारों ऐसे हैं, जिन्हें ओपीएस को लेकर संदेह और उलझन हैं। जाहिर है, ये मुद्दा भी आगे चलकर सरकार के सामने चुनौती खड़ा करेगा।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com