नई दिल्ली : Bride cry after marriage is necessary : भारत में शादी के बाद विदाई के आपने अक्सर दुल्हनों को रोते हुए देखा होगा। ऐसा माना जाता है कि, शादी के बाद लडकियां अपने घर से अलग होती है इसलिए उन्हें रोना आ जाता है। भारत की तरह ही एक और ऐसा देश है जहां ऐसी ही परंपरा है। लेकिन वहां की परंपरा यहां से काफी अलग है। क्योंकि इसमें दुल्हनों को शादी के वक्त रोना पड़ता है, और अगर उनको रोना नहीं आया तो कई बार उन्हें रोने के लिए पीटा भी जाता है।
Bride cry after marriage is necessary : दरअसल, चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत सिचुआनमें तूजिया जनजाति के लोग हजारों सालों से रह रहे हैं। इनके यहां एक विचित्र परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें दुल्हन का शादी में रोना जरूरी है। ऑडिटी सेंट्रल वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार ये परंपरा 17वीं शताब्दी तक चरम पर थी और 1911 में क्विंग साम्राज्य तक इसका पालन किया जाता था।
हालांकि, समय के साथ ये प्रथा खत्म होती जा रही है। जानकारों के अनुसार ये परंपरा 475 बीसी से 221 बीसी के बीच शुरू हुई थी जब ज़ाओ स्टेट की राजकुमारी की शादी यैन राज्य में हुई थी। तब जाने के वक्त उनकी मां फूटफूटकर रोई थी और बेटी को जल्दी घर लौटने के लिए कहा था। इसी को शादियों में रोने का सबसे पहला मौका माना जाता है।
Bride cry after marriage is necessary : माना जाता है कि अगर दुल्हन नहीं रोती है तो गांव में उसका मजाक बन जाता है और लोग उसे परिवार की बुरी पीढ़ी मान लेते हैं। कई मौकों पर तो अगर दुल्हन को रोना नहीं आता तो मां अपनी बेटी को पीटकर उसे रुलाती है। अब एक ओर जहां दक्षिण पश्चिमी प्रांत में सिर्फ दुल्हन के रोने का रिवाज है, वहीं पश्चिमी प्रांत में रिवाज कुछ अलग है। यहां इसे जुओ टांग कहा जाता है जिसका अर्थ होता है हॉल में बैठना।
शादी के एक महीने पहले, रात के वक्त दुल्हन किसी बड़े हॉल में जाती है और बैठकर करीब एक घंटे रोती है। इसके 10 दिन बाद उसकी मां भी उसके साथ शामिल हो जाती है और फिर 10 दिन बाद दादी-नानी, बहन, बुआ-मौसियां और सारे एक साथ रोते हैं। रोने के साथ एक खास गाना बजता है जिसपर वो सारे रोते हैं और इसे क्राइंग मैरेज सॉन्ग कहते हैं।
ऑडिटी सेंट्रल की रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले के वक्त में तो दुल्हनें रोने के साथ-साथ उन लोगों को अपशब्द भी कहती थीं जो उनका रिश्ता तय करते थे। इन सब चीजों के पीछे कारण ये बताया जाता है कि पहले के वक्त में महिलाओं को अपना पति चुनने की इजाजत नहीं होती थी, ना ही वो शादी के मामले में कुछ बोल सकते थे। उन्हें शादी करने के बाद ना रोना पड़े, इसलिए वो पहले रो लेती थीं। साथ में परिवार की दूसरी औरतों को रोता देख उन्हें तसल्ली दी जाती थी कि दूसरी महिलाओं के साथ भी वैसा ही हुआ है। इससे वो नई जिंदगी की शुरुआत साफ और शांत मन से करते थे।
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