लंदनः Skin mites bacteria मानव के स्किन्स पर कई तरह के जीवाणु होते है। ये जीवाणु हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देते है। इंसानी त्वचा पर पाए जाने वाले जीवाणु को लेकर कई तरह के रिसर्च हो रहे है। आज हम आपको एक खास जीवाणु के बारे में बताने जा रहे है, जो इंसान के चेहरे की त्वचा पर पाए जाते है। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि इंसान से जाने पर इंसानी चेहरे पर सेक्स करता है। इस जीवाणु को लेकर वैज्ञानिकों के रिसर्च में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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Skin mites bacteria वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसान के चेहरे पर पाए जाने वाले जीवाणु का नाम स्किन माइट्स है, जिसके आठ पैर होते हैं। स्किन माइट्स का आकार सिर्फ 0.01 इंच यानि 0.3 मिमी लंबे होते हैं और जैसे जैसे हमारे शरीर में छिद्रों की संख्या बढ़ती जाती है, इस जीव की संख्या में भी इजाफा होता जाता है। रिसर्च में पता चला है कि, जब इंसान सो जाते हैं, उस वक्त ये अपनी जनसंख्या बढ़ाने का काम करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि, ये जीव हर इंसान की त्वचा में रहता है और इसके सेक्स करने की आदत भी काफी अजब है। ये इंसानों के सोने के बाद उसके चेहरे पर सेक्स क्रिया को अंजाम देते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम माइट्स लगभग हर इंसान के चेहरे, पलकों और निपल्स पर पाया जाता है, जो एक साथी की तलाश में घूमता रहता है।
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वैज्ञानिकों ने इस जीव के डीएनए के टेस्ट किया है और डीएनए विश्लेषण से पता चला है कि, इस जीव के संभोग की आदत काफी ज्यादा विचित्र है और शरीर की विशेषताओं के साथ ये विकास करते हैं। वैज्ञानिक अलेजांद्रा पेरोटी, जिन्होंने इस रिसर्च का सह-नेतृत्व किया है, उन्होंने कहा कि, ‘हमने पाया कि इन जीवों की शारीरिक व्यवस्था दूसरे जीवों से काफी अलग होते हैं’।
स्किन माइट्स जीव माइक्रोस्कोप से देखने पर कील की तरफ दिखाई देते हैं और इनका शरीर देखने मे लंबा और कोन के आकार का होता है। वहीं, इनके पैर भी इनके शरीर के मुकाबले अत्यंत छोटे होते हैं। वहीं, वैज्ञानिकों ने कहा है कि, स्किन माइट्स हमारे चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होते हैं और जब तक स्किन माइट्स त्वचा की छिद्रों में रहते हैं, तब तक चेहरे पर कील मुंहांसे नहीं होते हैं। वैज्ञानिकों ने देखा कि, हमारे बालों में लगा तेल इनका भोजन होता है और इनके शरीर में चूंकी आनुवंशिक कमी होती है, लिहाजा कम प्रोटीन के साथ भी ये जिंदा रहते हैं।