Himachal Pradesh Exit Poll 2022 : नई दिल्ली। हिमाचल में नजीजों के लिए बस कुछ ही देर बाकी है। पूरा देश गुजरात-हिमाचल के चुनाव परिणाम के लिए रात से ही टीवी के सामने बैठ चुके है। सभी की निगाहें दोनों राज्यों पर बनी हुई है। सभी उम्मीदवारों के लिए यह रात जागने वाली रात होगी। परिणाम का समय सिर पर हो तो नींद किसे आती है। सभी ने अपनी घडी की देखना शुरू कर दिया है। एग्जिट पोल में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। हालांकि, कुछ चैनल भाजपा को बढ़त भी दिखा रहे हैं। अभी तक जो सर्वे जारी किए गए हैं, उनके अनुसार हिमाचल में मुकाबला सबसे रोचक होने वाला है। इस समय रामायण का वह भजन याद आता है यही रात अंतिम, यही रात भारी…जी हां दोनों प्रदेशों में उम्मीदवारों का हाल भी कुछ ऐसा ही है।
Himachal Pradesh Exit Poll 2022 : गगरेट सीट पर भाजपा उम्मीदवार राजेश ठाकुर की इज्जत भी दांव पर है। राजेश ठाकुर का गगरेट से लगातार दूसरा चुनाव है। क्षेत्र की जनता उनकी 5 साल की परफॉर्मेंस पर मुहर लगाती है, या फिर कांग्रेस के नए चेहरे चैतन्य शर्मा उन पर भारी पड़ते हैं। जो उत्तराखंड के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी राकेश शर्मा के बेटे हैं। इस सीट पर भी राजनीतिक माहिर पूरी नजर रखे हुए हैं।
Himachal Pradesh Exit Poll 2022 : वहीं चिंतपूर्णी आरक्षित सीट से भाजपा उम्मीदवार बलवीर चौधरी का दूसरा चुनाव है। उनकी 5 साल की परफॉर्मेंस का फैसला होना है। इस बार कांग्रेस के नए चेहरे सुदर्शन बबलू उन पर भारी पड़ते हैं, या फिर बलबीर चौधरी इस सीट से लगातार दूसरी जीत दर्ज करते हैं। इस पर जनता की नजरें लगी हैं। फिलहाल मतगणना से पहले भाजपा व कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत के दंभ भर रहे हैं। 5 विधानसभा सीटों में जीत का ताज किसके सिर बंधेगा, यह मतगणना से क्लियर हो पाएगा।
Himachal Pradesh Exit Poll 2022 : अगर हिमाचल प्रदेश के एक्जिट पोल की बात करें तो प्रदेश में 68 विस सीटों पर मतदान हुआ है। तो देखा जा रहा है कि बीजेपी को 24 से 34 के बीच सीटें मिल सकती है। तो वहीं कांग्रेस को 30 से 40 के बीच सीट मिलने का अनुमान है। और निर्दलीय के खाते में 4 से 8 तक सीट जा सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने गुजरात में जितना जोर दिखाया है उतना जोर हिमाचल में नहीं देखने को मिला। सर्द हवाओं ने ‘आप’ के संजोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का मुख हिमाचल प्रदेश की ओर मोडा ही नहीं। जिसके ‘आप’ का खाता ही नहीं खुलने का अनुमान देखा जा रहा है।