Bihar Election 2025, image source: ibc24
Bihar Election 2025, पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रंग इस बार और भी चढ़ गया है। राज्य की राजनीति में इस बार “वंशवाद” और “घरानों की परंपरा” एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों के कुल 10 रिश्तेदार इस बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें दो महिला उम्मीदवार भी पहली बार राजनीति के अखाड़े में उतर रही हैं।
राजनीतिक परिवारों से जुड़े ये उम्मीदवार मधुबनी, वैशाली, जमुई, गया, सारण, बेगूसराय, पश्चिम चंपारण और समस्तीपुर जिलों की दस सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। इन सीटों पर मुकाबले बेहद हाई-प्रोफाइल हो गए हैं और मतदाताओं की नजरें इन्हीं पर टिकी हैं।
पहली बार चुनाव लड़ रहीं महिला प्रत्याशियों में शामिल हैं, डॉ. करिश्मा राय, पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पोती, जो सारण की परसा सीट से राजद उम्मीदवार हैं। दिलचस्प बात यह है कि करिश्मा राय, तेजप्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन भी हैं। डॉ. जागृति ठाकुर, जननायक कर्पूरी ठाकुर की पोती, समस्तीपुर की मोरवा सीट से जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वह केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर की भतीजी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के परिवार से तीन उम्मीदवार चुनावी रेस में हैं, समधन ज्योति गुप्ता – गया की बाराचट्टी सीट से, बहू दीपा मांझी – इमामगंज से, दामाद प्रफुल्ल मांझी – जमुई जिले की सिकंदरा सीट से, ये तीनों हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील कुमार – बेगूसराय की चेरिया बरियारपुर सीट से राजद उम्मीदवार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पोते शाश्वत केदार – पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा – मधुबनी की झंझारपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार हैं। यह सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि उनके पिता तीन बार यहीं से विधायक रह चुके हैं।
वैशाली जिले में इस बार सबसे दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के दोनों बेटे आमने-सामने हैं — तेजस्वी यादव, राघोपुर से राजद उम्मीदवार। तेजप्रताप यादव, अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल से महुआ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
इन आठ राजनीतिक घरानों के उतरने से बिहार की दस विधानसभा सीटें वंश राजनीति और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की जंग में तब्दील हो गई हैं। इस बार का चुनाव सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि राजनीतिक विरासत की परीक्षा भी साबित होने जा रहा है।