BJP ने चिराग पासवान और RCP सिंह के माध्यम से JDU को कमजोर करने की कोशिश की? जानें क्यों अलग हुईं जेडीयू-भाजपा की राहें

bihar political crisis : नीतीश कुमार भाजपा से हुए अलग, महागठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया

  •  
  • Publish Date - August 10, 2022 / 01:58 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:45 PM IST

पटना, 9 अगस्त।  नीतीश कुमार जिन्हें कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता था, ने मंगलवार को प्रदेश के विपक्षी महागठबंधन का नेता चुने जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया। इसके साथ ही उन्होंने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात कर आठवीं बार राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव क्रमशः मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ बुधवार दोपहर दो बजे लेंगे। शपथ ग्रहण राजभवन के भीतर अपराह्न दो बजे एक सादे समारोह में होगा। कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और यादव के राजद सूत्रों ने कहा कि बाद में दो सदस्यीय मंत्रिमंडल में और मंत्रियों को शामिल किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार नए मंत्रिमंडल में जदयू के अलावा राजद और कांग्रेस के प्रतिनिधि होंगे। वाम दलों द्वारा अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखने के लिए नई सरकार को बाहर से समर्थन देने की संभावना है। भाजपा नीत राजग को छोड कुमार आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वह सात दलों के गठबंधन जिसे एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है, का नेतृत्व करेंगे।

read more: बड़ी खुशखबरी! यूनेस्को की सूची में शामिल हुई देश की सौ साल पुरानी वेधशाला

मंगलवार को राज्यपाल से दो बार मुलाकात

नीतीश कुमार (71 वर्षीय) ने मंगलवार को राज्यपाल से दो बार मुलाकात की। पहली बार राजग गठबंधन का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा सौंपा जबकि दूसरी बार तेजस्वी सहित विपक्षी महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल को 164 विधायकों के समर्थन की सूची सौंपी। बिहार विधानसभा में इस समय 242 सदस्य हैं और बहुमत हासिल करने का जादुई आंकड़ा 122 है।

इससे पूर्व तेजस्वी सहित अपने अन्य सहयोगियों के साथ राजभवन से बाहर निकलने पर कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘पार्टी की बैठक में यह तय हुआ कि हमें राजग छोड़ देना चाहिए। इसलिए, मैंने राजग के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।’’

जाति जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण और अग्निपथ योजना और कुमार के पूर्व विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखने सहित कई मुद्दों पर जदयू और भाजपा के बीच हफ्तों तक तनाव रहा। मंगलवार की सुबह इस क्षेत्रीय दल के सभी सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में राजग छोड़ने और महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया। जदयू पांच साल पहले यानी 2017 में महागठबंधन से अलग हुआ था।

read more: प्रदेश के इन संभागों में जमकर बरसेंगे बादल, गरज-चमक के साथ यहां होगी झमाझम बारिश, मौसम विभाग ने दी चेतावनी

जदयू को कमजोर करने की कोशिश

समझा जाता है कि मुख्यमंत्री ने पार्टी विधायकों और सांसदों से कहा था कि भाजपा जिसने पहले चिराग पासवान के विद्रोह और बाद में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के माध्यम उनकी जदयू को कमजोर करने की कोशिश की।

कुमार की स्पष्ट सहमति के बिना सिंह को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। नतीजतन जब राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ तो जदयू ने उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर एक और कार्यकाल देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण कैबिनेट मंत्री के रूप में भी उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके बाद सिंह के समर्थकों द्वारा जदयू में विभाजन की अफवाहें सामने आईं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी ( भाकपा -माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया कि जदयू और भाजपा के बीच विवाद भगवा पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा के हालिया बयान से भी गहरा हुआ, जिन्होंने कहा था कि क्षेत्रीय दलों का कोई भविष्य नहीं है।

पटना के दस सर्कुलर रोड स्थित पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर मंगलवार की सुबह जहां एक तरफ राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की एक बैठक हुई,जिसमें वामपंथी दल और कांग्रेस भी शामिल थे। वहीं सड़क के उस पार एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री के आवास में लगभग उसी समय जदयू के सांसदों और विधायकों की एक बैठक हुई, जिसमें कुमार के राजग के नेता के तौर पर इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन करने का फैसला किया गया।

read more:  आज पीएम मोदी करेंगे 2G Ethanol प्लांट का शुभारंभ, किसानों की बड़ी समस्या होगी खत्म, आय में होगी वृद्धि

समर्थन का पत्र लेने राबड़ी देवी के घर गए

अपना त्याग पत्र सौंपने के बाद कुमार महागठबंधन के विधायकों के समर्थन का पत्र लेने राबड़ी देवी के घर गए और वहां से राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यभवन चले गए।

जदयू के पास अपने 45 विधायक हैं और एक निर्दलीय विधायक का उसे समर्थन प्राप्त है जबकि राजद के पास 79 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 19 जबकि भाकपा-माले के 12 विधायक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो-दो विधायकों ने भी उन्हें समर्थन के पत्र दिए हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्च के चार विधायक भी कुमार के साथ हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि उक्त निर्णय लेने से पहले योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया था जो कि घटनाओं के क्रम से स्पष्ट था। इफ्तार और अन्य सामाजिक अवसरों पर कई बैठकों ने कुमार और यादव के बीच के संबंधों को मजबूत किया।

जब बैठक चल रही थी जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘नये स्वरूप में नये गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए नीतीश कुमार जी को बधाई। नीतीश जी आगे बढ़िए। देश आपका इंतजार कर कर रहा है।’’

read more: बड़ी खुशखबरी! यूनेस्को की सूची में शामिल हुई देश की सौ साल पुरानी वेधशाला

रुढ़िवाद के दल-दल में धकेलने की साज़िश में लगी भाजपा

उन्होंने आगे कहा, ‘‘एनडीए (राजग) से अलग होने के निर्णय से देश को फिर से रुढ़िवाद के दल-दल में धकेलने की साज़िश में लगी भाजपा के चक्रव्यूह से हम सब बाहर आ गए। यह निर्णय सिर्फ बिहार ही नहीं देश के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।’’

भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जनता के जनादेश का अपमान करने और विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए जदयू के राजग से बाहर निकलने के फैसले के लिए उनकी प्रधान मंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को जिम्मेदार ठहराया।

भाजपा नेताओं ने कुमार के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा पहली बार इस्तेमाल किए गए ‘‘पलटू राम’’ का उपयोग करते हुए उन दावों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी ने जदयू को तोड़ने की किसी प्रकार की कोशिश की थी।

read more: आज पीएम मोदी करेंगे 2G Ethanol प्लांट का शुभारंभ, किसानों की बड़ी समस्या होगी खत्म, आय में होगी वृद्धि

विनाश काले विपरित बुद्धि

भाजपा के केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि कम सीटें होने के बावजूद हमने उन्हें (कुमार) मुख्यमंत्री बनाया। उन्होंने दो बार धोखा दिया है। वह अहंकार से ग्रसित हैं। राजद के साथ कुमार के गठजोड़ के बारे में पूछे जाने पर चौबे ने कहा कि ‘‘विनाश काले विपरित बुद्धि।’’

नरेंद्र मोदी के गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने के बाद नीतीश कुमार ने 2013 में पहली बार राजग छोड़ा था और वर्ष 2017 में राजद-कांग्रेस के महागठबंधन से राजग के खेमे में वापस आए थे।

मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज के पूर्व प्रोफेसर तथा मशहूर राजनीतिक विश्लेषक राणाबीर समद्दर ने कहा कि नीतीश का कदम आज ‘राजनीति के संघीकरण’ के रूप में एक नया अध्याय है ,जहां क्षेत्रीय दल राज्यों पर नियंत्रण कर रहे हैं जबकि महाराष्ट्र जहां भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई (इस साल की शुरुआत में शिवसेना के टूटने के बाद) केंद्रीकरण का एक रूप है।

उन्होंने कहा कि यह सवाल कि क्या मंगलवार को कुमार के चौंकाने वाले राजनीतिक कदमों का राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ेगा और क्या विपक्ष उन्हें मोदी के प्रतिद्वंद्वी के रूप में तैयार करने की कोशिश करेगा, निश्चित रूप से एक सवाल है, जिसका उत्तर भविष्य में दिया जाना है।