पटना, सात मई (भाषा) बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पास गंडक नदी में घड़ियालों के सरंक्षण के लिए पिछले नौ वर्षों में बिहार सरकार के वन विभाग और पर्यावरणविदों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम आए हैं और इलाके से गुजर रही नदी के 284 किलोमीटर क्षेत्र में 217 घड़ियाल देखे गए हैं।
बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पी.के. गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘इस वर्ष 21 फरवरी से 28 फरवरी के दौरान गंडक बैराज से रीवा घाट के बीच गंडक नदी के 284 किलोमीटर खंड में घड़ियाल जनसंख्या निगरानी सर्वेक्षण किया गया था जिसमें सभी आकार के 217 घड़ियाल देखे गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हाजीपुर (बिहार के वैशाली जिला मुख्यालय) में गंगा नदी के संगम तक रीवा घाट के नीचे की ओर घड़ियाल शायद ही कभी देखे जाते हैं। यह संतोष की बात है कि भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के सहयोग से शुरू की गई हमारी घड़ियाल संरक्षण परियोजना अब परिणाम दे रही है।’’
गुप्ता ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से घड़ियाल संरक्षण प्रयासों में एक बड़ी सफलता है। इसके साथ, गंडक नदी, चंबल अभयारण्य क्षेत्र के बाद भारत में घड़ियाल के लिए दूसरा सफल प्रजनन स्थल बन गया है।’’ उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान कुल 37 वयस्क घड़ियाल (पांच नर सहित), 50 उप वयस्क, 49 किशोर और 81 शिशु घड़ियाल देखे गए।
वन विभाग के अधिकारी और पर्यावरणविद घड़ियालों की संख्या 2014 के 30 से बढ़कर इस साल फरवरी में 217 होने पर उत्साहित हैं।
डब्ल्यूटीआई के संरक्षण प्रमुख समीर कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘यह एक बड़ी सफलता है क्योंकि हमारी घड़ियाल संरक्षण परियोजना ने अपेक्षित परिणाम हासिल कर लिया है, चंबल अभयारण्य क्षेत्र के बाद अब यह भारत में घड़ियाल के लिए दूसरा सबसे बड़ा प्रजनन स्थल बन गया है। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि गंडक में इस परियोजना को शुरू करने से पहले, नदी को घड़ियालों के लिए नहीं जाना जाता था।’’
उन्होंने कहा कि इस सफलता के बाद गंडक नदी के इस पूरे हिस्से को घड़ियालों के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।
सिन्हा ने कहा, ‘‘परियोजना के बाद के वर्षों में यह देखा गया है कि पर्यावरणीय कारक जैसे कि चक्रवाती तूफान, तेज़ हवाएं आदि और अस्थिर आवास मापदंडों जैसे नदी के किनारे का क्षरण, बारिश और जल स्तर में उतार-चढ़ाव से गंडक नदी में घडियाल के प्रजन्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।’’
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीआई ने 30 नवजात घड़ियालों की निगरानी की थी जिन्हें पटना चिड़ियाघर में पाला गया था और 2014 में गंडक में वापस छोड़ दिया गया था।
वरिष्ठ वैज्ञानिक और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (पटना) के प्रभारी अधिकारी गोपाल शर्मा ने गंडक नदी में घड़ियाल संरक्षण परियोजना की सफलता पर टिप्पणी करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह वन विभाग (बिहार सरकार), डब्ल्यूटीआई और पर्यावरणविदों द्वारा किए गए ठोस संरक्षण प्रयासों के कारण संभव हुआ है। अब मेरा यह सुझाव है कि ऊष्मायन के दौरान बेहतर निगरानी और सुरक्षा के लिए कमजोर घोंसलों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और हैचिंग (अंडे) और हैचलिंग को मां घड़ियाल के सबसे करीब छोड़ा जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सफल घड़ियाल संरक्षण प्रयास नदी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक अच्छा संकेत हैं।
भाषा अनवर धीरज
धीरज