Rohini Acharya Latest Tweet/image source: rohini X handle
Rohini Acharya Quit Politics: बिहार चुनाव नतीजों के बाद निराश हुई लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने का फैसला ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने परिवार से नाता तोड़कर सभी को हैरत में डाल दिया है। उन्होंने संजय यादव और रमीज के दबाव का जिक्र किया, लेकिन जिम्मेदारी खुद ली। इस खुलासे ने आरजेडी के बीच नया विवाद खड़ा कर दिया है।
लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे राजनीति से संन्यास ले रही हैं और अपने परिवार से भी दूरी बना रही हैं। रोहिणी ने कहा कि यह कदम उन्होंने संजय यादव और रमीज के दबाव में उठाया है जबकि पूरा दोष वे स्वयं पर ले रही हैं। उनके बयान ने आरजेडी खेमे में हलचल मच गई है। चुनावी हार के बीच परिवारिक विवाद सामने आने से पार्टी और भी संकट में फंस सकती है।
Patna, Bihar: RJD chief Lalu Yadav’s daughter Rohini Acharya says, “I have no family. Ask Sanjay, Rameez, and Tejashwi Yadav. They are the ones who removed me from the family because they don’t want to take responsibility… The entire country is asking why the party has reached… pic.twitter.com/HL57mK0u0j
— IANS (@ians_india) November 15, 2025
Rohini Acharya Quit Politics, इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का बयान भी सामने आ गया हैं। इसमें कहा गया कि यह परिवार का आंतरिक मामला है, इस पर बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी की तरफ से भी एक्स पर रिएक्शन दिया गया। उन्होंने लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवार बनाम परिवार वाली भविष्यवाणी सच साबित हो रही है। आरजेडी का अंदरूनी संकट अब खुलकर सामने आ गया है।’
आरजेडी सूत्रों के मुताबिक लालू–राबड़ी ने अब तक तेजस्वी पर संजय यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई का दबाव नहीं डाला और यही बात रोहिणी आचार्य के अचानक फट पड़ने की वजह बनी। पार्टी के अंदर इसे रोहिणी के भावनात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें परिवार से नाता तोड़ने का बयान माता-पिता को संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
रोहिणी ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि संजय यादव और रमीज के दबाव में उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। यह बयान जितना भावनात्मक था उतना ही आरजेडी के भविष्य की दिशा को लेकर सवाल भी खड़ा करता है। इस चुनाव में आरजेडी पहले से ही कठिन परिस्थितियों में थी। 25 सीटों पर सिमट जाना सिर्फ राजनीतिक असफलता नहीं बल्कि संगठनात्मक कमजोरी, नेतृत्व की अस्पष्टता और परिवारिक खींचतान का नतीजा भी माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चेहरा तो थे लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया कि उनकी अपील सीमित हो गई है। दूसरी ओर लालू परिवार के भीतर चल रहे तनाव ने पार्टी की एकजुटता को कमजोर किया।कभी टिकट बंटवारे को लेकर तो कभी राजनीतिक रणनीति को लेकर यह विवाद नजर आया। रोहिणी आचार्य का तल्ख बयान इसकी परतें खोल रहा है।