#NindakNiyre: इंदौर शिव मंदिर मामलाः राहत की बात है, बहुसंख्यकों में समझदारी जिंदा है, दर्जी की गर्दन काटने जैसा आक्रोष नहींं

इंदौर के शिव मंदिर में एक शख्स जो कर रहा था वह निंदनीय है, राहत है कि कम से कम राजस्थान में दर्जी की गर्दन उतारने जैसी बर्बरता नहीं हुई।

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Modified Date: December 20, 2022 / 04:57 PM IST
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Published Date: December 20, 2022 4:57 pm IST

बरुण सखाजी, राजनीतिक विश्लेषक

nindakniyre-indore shiv temple case धर्म की दवा आदम को आदमी बनाती है, लेकिन यह बहुत अधित संवेदनशील दवा है। इसके लाभ जितने हैं उससे कई गुना अधिक इसके साइड इफैक्ट्स हैं। इस दवा के सही डोज, सही समय, सही व्याख्या और सही रोग में ही इस्तेमाल से आदम आदमी बनता है। सनातन काल से इसमें शोध हो रहे हैं। आगे भी होते रह सकते हैं, किंतु धर्म की विविध दिशाहीन खुलती शाखाएं धर्म पर बड़ा खतरा बनकर उभर रही हैं।

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nindakniyre-indore shiv temple case इंदौर के एक शिव मंदिर में शख्स जो हरकतें करते हुए कैमरे में कैद हुआ है वह चिंताजनक है। यह तो साफ है कि इस शख्स को न तो खुद के पंथ की न सनातन धर्म की कोई समझ है। यह सुनी-सुनाई बातों और जुमलों पर जा निसार करने वाली जमात का हिस्सा है। ऐसी जमात जो हूरों, हीरों के लिए जान लेना-देना ईशादेश समझते हैं। जिनके हृदय नहीं होते, जिनमें निर्ममता भरी जाती है, जिनके दिमाग तर्क नहीं मांगते, जिनके आदम से आदमी बनने के सारे द्वार बंद हो चुके हैं, जिनकी समझ के रास्ते भटके हैं, जिन्हें न अल्लाह की समझ है न राम की।

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नूपुर शर्मा विवाद ने दुनियाभर में हलचल पैदा कर दी। बदले की कार्रवाई में जाने कितनी हरकतें कहां, कहां हुई होंगी हिसाब नहीं, लेकिन राजस्थान के उस दर्जी को तो कोई ही भूला होगा। नूपुर ने क्या कहा था, किस संदर्भ में कहा था, क्यों कहा था, झूठ था या सच था तो छोड़िए, बस कहा था, सिर्फ इस पर सर कलम की फतवाई मानसिकता का तांडव क्या देखा नहीं किसी ने? किसी ने इस मसले पर कोई उफ नहीं किया, क्योंकि सबको भय होता है कि वे ही अगले दर्जी न सिद्ध हों। बस यह सोचकर ही कइयों ने प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे ही एक शख्स धर्मालय में उस पवित्र स्थल तक पहुंच गया और कुछ करने लगा तो उसे वहीं, घटना स्थल पर मार डाला गया। न मीडिया चिल्लाया न पुलिस और बात-बात पर संज्ञान लेने वाले मासूम कोर्ट को तो जैसे सांप ही सूंघ गया था। न सुनवाई, न विवेचना, न जांच, बस मान लिया गया बेअदबी। मार डाला। आव देखा न ताव।

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अब जब इंदौर में शिव मंदिर में सरेआम बेअदबी, गुस्ताखी की गई तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। मंदिर में किया गया कुकृत्य पागलपन की हद है। इन सबके बीच राहत की बात ये है कि भारत के बड़े धर्मावलंबी समूह ने इस पर धैर्य रखा। बेअदबी के नाम पर बिना सोचे-समझे न तो तलवारें खींची न यूं तैल-देशों की तरह आदम समूहों की रैलियां निकाली, न किसी दर्जी की गर्दन काटी। बस यही धैर्य बना रहे, क्योंकि धर्म की असली समझ कहती है लड़ो अपने भीतर के असंवभवों से।

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