मस्जिदों में निकाह के लिए लगी लंबी लाइनें, जानिए क्या है इसकी वजह

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 के कानून बन जाने के बाद लड़कियों की शादी की उम्र 21 हो जाएगी। मुसलमान निकाह में इसे कानूनी बाधाए मान रहे हैं। इसी के चलते हैदराबाद के पुराने इलाकों की मस्जिदों में निकाह के लिए लंबी लाइन चल रही है।

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  • Publish Date - December 30, 2021 / 11:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021

हैदराबाद। बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 के कानून बन जाने के बाद लड़कियों की शादी की उम्र 21 हो जाएगी। मुसलमान निकाह में इसे कानूनी बाधाए मान रहे हैं। इसी के चलते हैदराबाद के पुराने इलाकों की मस्जिदों में निकाह के लिए लंबी लाइन चल रही है। इस कानून के लागू होने से पहले मुस्लिम निकाह कर लेना चाहते हैं।

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इन मस्जिदों में जो निकाह हो रहे हैं उनमें दुलहनों की उम्र 18 से 20 साल के बीच है। अधिकांश की शादी 2022-2023 में किसी समय होनी थी, लेकिन बिल पास होने के डर ने उनके परिवारों में हड़बड़ी है और वह तय तारीख से पहले ही शादी करने की होड़ में हैं।

बाबानगर के एक निवासी के अनुसार ‘हमने बेटी का निकाह 2022 के मध्य में करने की तैयारी की थी क्योंकि उसके पिता हाल ही में नौकरी की तलाश में श्रीलंका गए थे। हम उम्मीद कर रहे थे कि वह शादी की व्यवस्था करने के लिए कुछ पैसे लेकर वापस आएंगे। लेकिन जब हमने बिल के बारे में सुना तो हमें भागना पड़ा।’

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कुछ लोग अपनी बेटी की शादी के लिए केसीआर की ‘शादी मुबारक’ योजना पर निर्भर है। 2014 में टीआरएस सरकार ने यह योजना शुरू की थी। यह योजना एससी, एसटी, ईबीसी या अल्पसंख्यकों को 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। योजना के लाभ के लिए लड़कियों की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।

The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021

इलाके के एक स्थानीय नेता फिरोज खान ने कहा कि परिवार निकाह करवा रहे हैं ताकि वे तुरंत योजना के लिए आवेदन कर सकें और अगले कुछ महीनों में उन्हें सहायता मिल सके। एक बार प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, वह निकाह कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों तक इलाके में 40 से ज्यादा निकाह होने वाले हैं।

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निकाह की लिस्ट में अजीज अहमद की 18 वर्षीय भतीजी भी शामिल है। उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई और भाभी का देहांत हो चुका है। दादी ने बच्ची को पाला है। अब, यदि बिल लागू होता है, तो अगले तीन वर्षों तक उसकी देखभाल कौन करेगा? इसलिए अब वे उसकी शादी 31 दिसंबर को करने जा रहे हैं।

बिल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मुस्लिम धर्मगुरु और अमरत-ए-मिल्लत-ए-इस्लामिया तेलंगाना और आंध्र के अमीर (प्रमुख) मौलाना जफर पाशा ने कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में घुसपैठ है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में, एक मुस्लिम लड़की यौवन प्राप्त करने के बाद शादी कर सकती है। यदि बिल पारित हो जाता है, तो इन लड़कियों की सुरक्षा संबंधी कई मुद्दे होंगे।