Datiya me congreesiyo ne join ki BJP
बरुण सखाजी, सह-कार्यकारी संपादक, आईबीसी-24
गुजरात में भले ही भाजपा जीत गई, लेकिन आम आदमी को मिले 12 फीसद वोट उसे खटक रहे हैं। वहीं हिमाचल में वोट प्रतिशत का फासला सिर्फ 1 फीसद है, इसलिए भाजपा को चिंतित नहीं होना चाहिए। परंतु वह यहां भी चिंतित है। इसकी वजह साफ है। भाजपा ने इन चुनावों से जीत का जश्न नहीं चुना बल्कि आने वालों चुनावों में राजनीतिक भूकंपों की आहट को सुना। भाजपा केंद्र में बनी रह सकती है, लेकिन राज्यों में वह भयभीत है।
वर्ष 2023 में 9 राज्यों में चुनाव होंगे, जिनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक जैसे बड़े और प्रभावशाली राज्य भी शामिल हैं। इन तीन बड़े राज्यों में 81 लोकसभा सीटें आती हैं। यह लोकसभा की कुल सीट का 15.68 फीसद हिस्सा है। इनमें से 77 भाजपा 1 उसके सहयोगी की मिलाकर कुल 78 सीटों पर भाजपी ही विराजमान है।
इनके अलावा वर्ष 2023 में मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना में भी चुनाव हैं। इन राज्यों में लोकसभा की 34 सीटें हैं, जो कुल सीटों का 6.26 फीसद हैं। इनमें से भाजपा के खाते में अभी 16 सीटें हैं। जबकि 3 उसके सहयोगियों के पास हैं। यानि 19 सीटों पर गठबंधन के रूप में भाजपा काबिज है। वर्ष 2023 में होने वाले 9 राज्यों में 115 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से भाजपा के पास अभी 97 हैं। 115 सीटें लोकसभा में बहुमत की 42.27 फीसद हैं।
फिलहाल भाजपा इन 115 में से 97 पर काबिज है, यानि 84.34 फीसद सीटों पर। जबकि यह लोकसभा में भाजपा के बहुमत में 17.86 फीसद का योगदान करती हैं। इसलिए भाजपा के सामने 2023 में हासिल से ज्यादा खोने का भय है। पार्टी गुजरात के नतीजों से उत्साहित है, लेकिन वह 2023 के चुनावी राज्यों में अपने प्रदर्शन को लेकर अतिरिक्त सतर्क नजर आ रही है।
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