MP Assembly Elections 2023: ‘बगावत’ की चिंगारी..पड़ न जाए भारी! क्या अपनों की नाराजगी पड़ेगी पार्टियों को भारी?
MP Assembly Elections 2023: 'बगावत' की चिंगारी..पड़ न जाए भारी! क्या अपनों की नाराजगी पड़ेगी पार्टियो को भारी?
भोपाल। MP Assembly Elections 2023 मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद सियासी बिसात बिछ चुकी है, लेकिन टिकट वितरण के साथ ही दोनों पार्टियों के लिए अपने ही चुनौती बनते नजर आ रहे हैं। कहीं टिकट कटने से तो कहीं टिकट नहीं मिलने से नेताओं और कार्यकर्ताओं के गुस्से का पारा हाई है। हालांकि दोनों दलों के बड़े नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है और नाराजगी को थामने की कोशिश की जा रही है लेकिन हालात सुधरते नहीं दिख रहे है। ऐसे में सवाल ये है कि ‘बगावत की ये चिंगारी, कहीं पड़ ना जाए भारी’!
MP Assembly Elections 2023 मध्यप्रदेश में दोनों सियासी दलों की ये चार तस्वीरें चुनाव से पहले के हालात बताने के लिए काफी कहीं खुदकुशी की कोशिश हो रही है। कहीं नेताओं का घेराव तो कहीं उम्मीदवारों की गाड़ी पर पथराव। इस्तीफे के साथ मान मनौव्वल का सिलसिला जारी है लेकिन दोनों ही दलों में नाराजगी थमती नहीं दिख रही है । कांग्रेस के टिकट जारी होने के बाद नाराज नेताओं और दावेदारों के इस्तीफे के साथ ही विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। वैसे नाराजगी बढ़ी तो पीसीसी चीफ कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मोर्चा संभाला।
कमलनाथ,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कोई हंगामा नहीं है,जहां 4000 लोग होते हैं,सब कहते हैं मैं जीतने वाला हूं, अब फैसला हो गया है,सब की नाराजगी दूर नहीं की जा सकती। टिकिट वितरण के बाद उपजी नाराजगी को दूर कर लिया जाएगा,230 से ज्यादा उम्मीदवार नही उतार सकते,छोटी मोटी नाराजगी है।
वैसे नाराजगी बीजेपी में भी कम नहीं है, जो नेता दो दिन पहले तक कांग्रेसियों के गुस्से को कपड़ा फाड़ो आंदोलन बता रहे थे अब उन्हें भी अपने कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस K हो गई है कमलनाथ जी की कांग्रेस, वही सर्वे कर रहे हैं। वही टिकट बांट रहे हैं, कार्यकर्ता प्रदर्शन कर कपड़े फाड़ रहे हैं, पुतले जला रहे हैं,दशहरे से पहले ही पुतले जल रहे हैं।
कांग्रेस और बीजेपी में मचे घमासान के बीच बीएसपी और आप ऐसे विकल्प के तौर पर उभरे हैं जहां नाराज नेताओं को ठिकाना भी मिल रहा है और टिकिट भी.. जाहिर है दोनों ही दल अपने नाराज नेताओं को मना लेने का दावा कर रहे हैं लेकिन वक्त रहते ये नाराजगी मैनेज नहीं हुई तो ये पार्टियों के चुनावी अभियान को डैमेज कर सकती है।

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