अगले पांच साल में दो लाख कृषि ऋण समितियों, डेयरी-मत्स्यपालन समितियों के गठन को मंजूरी

अगले पांच साल में दो लाख कृषि ऋण समितियों, डेयरी-मत्स्यपालन समितियों के गठन को मंजूरी

अगले पांच साल में दो लाख कृषि ऋण समितियों, डेयरी-मत्स्यपालन समितियों के गठन को मंजूरी
Modified Date: February 15, 2023 / 08:01 pm IST
Published Date: February 15, 2023 8:01 pm IST

नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गांवों और पंचायतों के भीतर अगले पांच साल में दो लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) एवं डेयरी/मत्स्यपालन सहकारी समितियां गठित करने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी।

मौजूदा समय में देशभर में लगभग 99,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) में से लगभग 63,000 क्रियाशील हैं। अब भी 1.6 लाख पंचायतें पैक्स के बिना हैं और लगभग दो लाख पंचायतें बिना किसी डेयरी सहकारी समिति के हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को बढ़ाने वाले कदमों को मंजूरी दी।

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एक सरकारी बयान कहा गया है कि सहकारिता मंत्रालय ने प्रत्येक अछूती पंचायत में लाभप्रद प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) प्रत्येक अछूती पंचायत व गांव में लाभकारी डेयरी सहकारी समितियां और प्रत्येक तटीय पंचायत व गांव के साथ-साथ बड़े जल निकायों वाली पंचायत व गांव में लाभप्रद मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित करने की योजना तैयार की है।

बयान में कहा गया है, ‘‘शुरुआत में अगले पांच साल के भीतर दो लाख पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। परियोजना के कार्यान्वयन की कार्ययोजना- नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा तैयार की जाएगी।’’

मंत्रालय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के सम्मिलन के माध्यम से मौजूदा पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूत करना चाहता है।

वर्तमान योजना के तहत परस्पर सम्मिलन के लिए निम्नलिखित योजनाओं की पहचान की गई है – जिसमें डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीडीडी) और पशुपालन और डेयरी विभाग के तहत डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ), मत्स्य विभाग के तहत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर बुनियादी ढांचा विकास (एफआईडीएफ) जैसी योजनायें हैं।

मंत्रिमंडल के निर्णय से किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण स्तर पर ही ऋण सुविधाएं और अन्य सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी। बयान में कहा गया है कि जिन प्राथमिक सहकारी समितियों को खड़ा नहीं किया जा सकता है, उन्हें समापन के लिए चिन्हित किया जाएगा और उनके परिचालन क्षेत्र में नए समितियां स्थापित की जाएंगी।

नए पैक्स/डेयरी/मत्स्य पालन सहकारी समितियों की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है।

कृषि मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, और संबंधित सचिव भी पैनल में शामिल हैं। समिति को योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार है।

कार्ययोजना के केंद्रित और प्रभावी निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर समितियों का भी गठन किया गया है।

पैक्स की लाभप्रदता को बढ़ाने और उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने के लिए पैक्स के मॉडल उपनियम मंत्रालय द्वारा पहले ही तैयार कर लिए गए हैं। उपनियम पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों को करने में सक्षम बनाएंगे।

संबंधित राज्य सहकारी अधिनियमों के अनुसार उपयुक्त परिवर्तन के बाद पैक्स द्वारा अपनाए जाने के लिए पांच जनवरी, 2023 को मॉडल उपनियमों को सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को भेजा गया है।

सहकारिता मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस तैयार किया जा रहा है, जहां पंचायत और ग्रामस्तर पर सहकारी समितियों का देशव्यापी मानचित्रण किया जा रहा है। पैक्स का एक डेटाबेस जनवरी, 2023 में विकसित किया गया है और फरवरी के अंत तक प्राथमिक डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों का एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा।

इस प्रयास के जरिये ऐसे पंचायतों और गांवों की सूची तैयार होगी जहां पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों द्वारा सेवा प्रदान नहीं की जाती है।

नई सहकारी समितियों के गठन की वास्तविक समय की निगरानी के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस और ऑनलाइन केंद्रीय पोर्टल का उपयोग किया जाएगा।

बयान के अनुसार, पैक्स देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) संरचना का सबसे निचला स्तर है, जो सदस्यों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि का ऋण प्रदान करता है तथा अन्य लागत सेवाएं जैसे बीज, उर्वरक और कीटनाशक का वितरण करता है। पैक्स की संख्या 98,995 हैं और इनके सदस्यों का आधार 13 करोड़ का है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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