मुंबई, 24 नवंबर (भाषा) राजकोषीय और मौद्रिक उपायों से उच्च निजी निवेश की अगुवाई में वृद्धि में तेजी का रास्ता साफ होगा। इससे वैश्विक अनिश्चिततताओं के बीच कुल मिलाकर दीर्घकाल में आर्थिक मोर्चे पर मजबूती आएगी। भारतीय रिजर्व बैंक के सोमवार को जारी एक बुलेटिन में यह कहा गया है।
‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक से नवंबर बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था में और तेजी के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि वैश्विक शेयर बाजारों में बढ़ते उत्साह को लेकर चिंता बनी हुई है। इसकी स्थिरता और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव के बारे में सवाल उठ रहे हैं।
बुलेटिन के अनुसार, ‘‘अक्टूबर के लिए उपलब्ध उच्च-आवृत्ति संकेतक (पीएमआई, जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, ईवे बिल आदि) विनिर्माण और सेवा गतिविधियों, दोनों में मजबूती का संकेत देते हैं। इसे त्योहारों की मांग और जीएसटी सुधारों से समर्थन मिला।’’
इसमें लिखा गया, ‘‘मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर आ गई है और निर्धारित लक्ष्य से काफी नीचे बनी हुई है। साथ ही, वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं और वित्तीय संसाधनों का प्रवाह भी अच्छा बना हुआ है।’’
वैश्विक व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितताओं और बाह्य क्षेत्र की चुनौतियों के बीच, भारत की अर्थव्यवस्था ‘समय के साथ बाह्य झटकों के प्रति अधिक मजबूत’ होती जा रही है। इसका कारण मजबूत सेवा निर्यात, धन प्रेषण और कच्चे तेल की कम कीमत हैं।
लेख में कहा गया है कि भारत के ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी इसकी मजबूती को और बढ़ा रही है।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात मामूली बना रहा।
बुलेटिन में कहा गया है कि बेहतर वृहद आर्थिक रूपरेखा और परिणामों ने न केवल वित्तीय संस्थानों की वृहद अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की क्षमता को बढ़ाया है, बल्कि इससे रिजर्व बैंक को वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता में सुधार लाने और अर्थव्यवस्था में ऋण प्रवाह बढ़ाने के लिए विनियामक उपायों को बेहतर ढंग से निर्धारित करने में भी मदद मिली है।
लेख के अनुसार, ‘‘इस वर्ष अब तक किए गए राजकोषीय, मौद्रिक और नियामकीय उपायों से उच्च निजी निवेश, उत्पादकता और वृद्धि के एक सकारात्मक चक्र का रास्ता साफ होना चाहिए। इससे दीर्घकाल में आर्थिक मोर्चे पर मजबूती आएगी।’’
इसमें कहा गया है कि वैश्विक शेयर बाजारों में बढ़ते उत्साह को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। इससे इसके टिकाऊ स्तर पर बने रहने और वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ लेख में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
भाषा रमण अजय
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