खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों, सोयाबीन समेत चेक करें कितने गिरे दाम

खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों, सोयाबीन समेत चेक करें कितने गिरे दाम

खाने का तेल हुआ सस्ता, सरसों, सोयाबीन समेत चेक करें कितने गिरे दाम

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : March 6, 2022/10:56 am IST

Edible Oil Prices: नई दिल्ली। सरकार ने  आम जनता को बड़ी राहत दी है। खाने वाले तेल की कीमतों में गिरावट आई है। शनिवार को सरसों तेल और सोयाबीन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। वहीं, मूंगफली, सोयाबीन इंदौर, सोयाबीन डीगम तेल, सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतें जस की तस रही हैं।

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खाद्य तेलों के लेटेस्ट रेट्स

सरसों तिलहन – 7,500-7,525 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली – 6,425 – 6,520 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,800 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,475 – 2,660 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,225 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी- 2,245-2,300 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी- 2,445-2,250 रुपये प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,400 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 16,000 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 15,200 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 16,100 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स- कांडला- 14,800 रुपये (बिना जीएसटी के)
सोयाबीन दाना 7,500-7,550 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज 7,200-7,300 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल

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बाजार सूत्रों ने बताया कि मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने से सरसों तेल तिलहनों के भाव में गिरावट आई है। इस तेल की ज्यादा खपत उत्तर भारत के राज्यों में है जबकि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु जैसे स्थानों पर सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तेलों की अधिक खपत है इसलिए सरकार को देश में तेल तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर मुख्य रूप से ध्यान देना होगा।

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सूत्रों के मुताबिक, खाद्यतेलों के निर्यात के लिए क्राफ्ट पेपर (गत्ते) से बने पैक का अधिक इस्तेमाल होता है और इस गत्ते की कीमत पिछले लगभग एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है।

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इसके महंगा होने से खाद्य तेलों के अलावा बाकी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं इसलिए मौजूदा समय में इसके (गत्तों के) निर्यात पर रोक लगानी चाहिये। सरकार खाद्य तेलों का दाम कम करना चाहती है तो उसे हर उस पहलू को ध्यान देना होगा जो इन्हें महंगा बनाती हैं।