एलआईसी के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड में ढील देने को सेबी से चर्चा करेगा वित्त मंत्रालय

एलआईसी के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड में ढील देने को सेबी से चर्चा करेगा वित्त मंत्रालय

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  • Publish Date - April 29, 2022 / 04:24 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) वित्त मंत्रालय एलआईसी को न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड से छूट देने के लिए बाजार नियामक सेबी के साथ चर्चा करेगा। निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड के तहत एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्यांकन वाली सूचीबद्ध कंपनियों के पास सूचीबद्ध होने के पांच साल के भीतर कम से कम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी होनी चाहिए।

सरकार ने पिछले साल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को इस नियम से छूट दी थी।

सरकार एलआईसी में 22.13 करोड़ से अधिक शेयर बेच रही है, जिसके लिए कीमत दायरा 902-949 रुपये है। आईपीओ चार मई को खुलेगा और नौ मई को बंद होगा। एलआईसी के शेयर 17 मई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होंगे।

सरकार को एलआईसी के आईपीओ से लगभग 21,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है।

एलआईसी के आईपीओ से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए पांडेय ने कहा कि सरकार शेयर सूचीबद्ध होने के एक साल तक जीवन बीमा निगम में अपनी हिस्सेदारी कम नहीं करेगी।

पांडेय ने कहा, ‘‘एलआईसी जैसी बहुत बड़ी कंपनी के लिए हमें न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी मानदंड पर सेबी और आर्थिक मामलों के विभाग के साथ चर्चा करनी होगी। हम जानते हैं कि यह आसान नहीं है। इस समय पांच प्रतिशत भी बाजार को स्वीकार्य नहीं होगा।’’

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मानदंडों के अनुसार एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्यांकन वाली कंपनियों को आईपीओ में न्यूनतम पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचनी जरूरी है। हालांकि, एलआईसी को इस नियम से छूट दी गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की छूट पाने के लिए सेबी के साथ विशेष व्यवस्था करनी पड़ी। इसकी वजह यह है कि एक बहुत बड़ा कॉरपोरेशन इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यह पूंजी बाजार को कैसे प्रभावित करता है।’’

इस मौके पर वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा ​​ने कहा कि नई कंपनियों का निहित मूल्य कम होता है, और उनके पास वृद्धि की बड़ी क्षमता होती है।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण